Shaban Ki 15vi Raat Fazilat Aur Riwayat | शब ए बारात

Shaban Ki 15vi Raat Fazilat

नबी ﷺ ने फरमाया अल्लाह ﷻ Shaban Ki 15vi Raat को अपने मखलूक की तरफ नजर ए रहमत फरमाकर तमाम मक्लूक की मगफिरत फरमा देता है सिवाए मुशरिक या किना रखने वाले के।

वहाबी विद्वान नसीरुद्दीन अल्बानी सहीह अत तरगीब वट तरहीब खंड-3, पृष्ठ-53, हदीस #2767 में

इब्न तैमिया और शबे बारात लिखा है: जहा तक निस्फ शाबान की रात (यानी शब ए बारात) की बात है, उसकी फजीलत में अहादीस और असर मारवी है, और सलाफुस सालिहीन की एक जमात उसमें नमाज अदा करती थी

मजमू अल फतवा 14/66

शब ए बारात को इबादत में गुजारना ताबाईन से साबित है-इमाम कस्तलानी (923 हिजरी)

पुस्तक: अल मुवाहिब 4/192 (स्कैन पेज)

इमाम इब्न इशहाक मक्की फ़क़ी (1168 साल पहले विसल) लिखते हैं:जब Shaban Ki 15vi Raat होती तो मक्का की आम औरत और मर्द मस्जिद ए हरम जाते और नमाज पढ़ते और तवाफ करते और रात भर नमाज पढ़ते और कुरान की तिलावत करते यहां तक ​​के सुबह होती और पूरा कुरान मकामल कर लेते

पुस्तक: अख़बार मक्का 3/84

इमाम बुखारी के उस्ताद, इमाम इसहाक बिन राहवेह का इरशाद है: शब ए बारात में जमात के साथ मस्जिद में इबादत करना बिदअत नहीं है

संदर्भ: इमाम क़स्तालानी (923 हिजरी) पुस्तक: अल मुवाहिब 4/193

उमर बिन अब्दुल अजीज رضي الله عنه फ़रमाते हैं: साल में चार रातें ऐसी हैं जिनमें अल्लाह की रहमत जोश पर होती है:

1) रज्जब की पहली रात

2) Shaban Ki 15vi Raat (शब ए बारात)

3) ईद-उल-फितर की रात

4) ईद उल अजहा की रात

इमाम इस्माइल इस्बहानी (535 हिजरी) तरग़िब वाट तरहिब #1851 (स्कैन पेज)

Shab e Barat बरकतों और इबादत की रात हिंदी-Sunnat Wal Jamaat

نبی صلی اللہ علیہ وسلم نے فارمایا، اللہ ﷻ شعبان کی 15ویں رات کو اپنے مخلوق کی ترف نظر رحمت فرماکر تمام مخلوق کی مغفرت فرماتا دیتا ہے سیوائے مشرک یا کینہ رخنے والے کے۔

وہابی عالم ناصرالدین البانی صحیح الترغیب وترغیب جلد 3 صفحہ 53 حدیث نمبر 2767

ابن تیمیہ اور شب برات لکھا ہے: جہا تک نصف شعبان کی رات (یانی شب برات) کی بات ہے، بیشک اسکی فضیلت میں احادیث اور عصر مروی ہے، اور سلفص صالحین کی ایک جماعت نماز پڑھا کرتی تھی ۔

مجمع الفتاوی 14/66

شب برات کو عبادت میں گُزرنا تبعین سے سبط ہے امام قسطلانی (923 ہجری)

کتاب: المواحب 4/192 (صفحہ سکین)

امام ابن اسحاق مکی فقہی (1168 سال پہلے وصال) لکھتے ہیں: ”جب 15 شعبان کی رات ہوتی تو مکہ کی عام عورتیں اور مرد مسجد اے حرام جاتے اور نماز پڑھتے اور طواف کرتے اور رات بھر نماز پڑھتے ہی۔ تلاوات کرتے يہاتک کی صبح ہوتی اور پورا قرآن مکمل کر لیتے

کتاب:اخبار مکہ 3/84

امام بخاری کے استاد، امام اسحاق بن راہویہ کا ارشاد ہے: شب برأت میں جماعت کے ساتھ مسجد میں عبادت کرنا بدعت نہیں ہے۔

حوالہ: امام قسطلانی (923 ہجری)کتاب: المواحب 4/193 (اسکین صفحہ

عمر بن عبدالعزیز رضی اللہ عنہ فرماتا ہے: سال میں چار شرح ایسی ہے جس میں اللہ کی رحمت جوش پر ہوتی ہے:

) رجب کی پہلی رات

) شعبان کی 15ویں رات (شب برات)

) عید الفطر کی رات

) عید الاضحی کی رات

امام اسماعیل اصبہانی (535 ہجری) ترغیب وتتحریف نمبر 1851 (اسکین صفحہ)

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किस रात अल्लाह अपनी रहमत की नजर फरमा कर तमाम मखलूक की मगफिरत फरमाता है?

शाबान की 15वीं रात को, मुजर्रब रिवायत है कि अल्लाह अपनी रहमत की नजर फरमा कर तमाम मखलूक की मगफिरत फरमाता है।

क्या इब्न तैमिया ने शबे बारात के बारे में क्या लिखा?

इब्न तैमिया ने शबे बरात के बारे में लिखा है कि अहादीस और असर इसके फ़ज़ाइल में मरवी है और सलाफ़-उस-सलिहिन की एक जमात उसमें नमाज अदा करती थी।

क्या शबे बारात में जमात के साथ इबादत करना बिदअत है, जैसे कि इमाम कस्तलानी ने लिखा?

नहीं, शबे बारात में जमात के साथ इबादत करना बिदअत नहीं है, जैसे कि इमाम कस्तलानी ने लिखा है।

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