वहाबी फिरका और निस्फ ए शाबान (Shab e Barat)
मौजुदा दौर में कुछ रौशन ख्याली नाम निहाद अहले हदीस जो है वहाबी ये फिरका उम्मत ए मुस्लिमा में हर महीना कुछ ना कुछ फितना छोरता है हर उस अमल को शिर्क बिदअत हराम कहते हैं जिसका ताल्लुक अक़ैद या मामलात ए इस्लामिया से है आज से कुछ साल पहले आपने किसी को भी शाबान की फजीलत और 15वीं शब जिसको शब ए बारात कहा जाता है, उस रात जाग कर नमाज, रोजा तिलावत करने का इंकार करते नहीं देखा होगा पर अब एक ऐसा फिरका वजूद में है इबादत हमें फिरके पर बोझ है हम वक्त बहाने तलाशते है किसी तरह उम्मत ए मुस्लिमा को गुमराह करे अमल से रोके।
निसफ ए शाबान 15वी रात शाबान को अल्लाह तआला की खास रहमत बंदो की तरफ मुतवज्जे होती है हम इस रात को जाग कर अल्लाह ﷻ कि इबादत करे उसके मेहबूब ﷺ का जिक्र करे इसाले सवाब के लिए फातिहा करे फिर भी इनको तकलीफ़ होने लगती है शिर्क बिदअत याद आता है
Shab e Barat इबादत की रात
Shab e Barat: हज़रत सैय्यदना उसामा बिन ज़ैद رضي الله عنه फ़रमाते हैं : मैने अर्ज़ कीया, या रसूलअल्लाह ﷺ मै देखता हूं जिस तरह से आप शाबान में रोज़ा रखते हैं इस तरह किसी भी महीने मे नहीं रखते? फ़रमाया रज़्ज़ब और रमज़ान के दरमियान में महीना है लोग इससे ग़ाफ़िल हैं, लोग इस से ग़ाफ़िल है इसमे लोगो का अमल अल्लाह रब्बुल आलमीन की तरफ़ उठते हैं और मुझे ये महबूब है के मेरे आमाल इस हाल में उठया जाए की मैं रोज़दार हू |
सन्दर्भ : (सुनन नसाई पृष्ठ : 267, किताबस सवाम, बाब 70 : नबी के रोजे रखने का बयान, हदीस : 2358)
हज़रत मआज़ बिन जबल رضي الله عنه नबी ए करीम ﷺ से रिवायत करते हैं : आप ﷺ ने फरमाया,अल्लाह तआला शाबान की 15 वी शब अपनी मखलूक की तरफ नज़र ए रहमत फ़रमाकर तमाम मखलूक की मगफिरत फ़रमा देता है सिवाए मुशरिक और किना रखने वाले की
संदर्भ (सहीह इब्न हिब्बन 12, पृष्ठ: 479, हदीस: 5665) (इमाम तबरानी अल मुजाम अल कबीर खंड:20, पृष्ठ:108, हदीस:215)
हज़रत अबू बकर सिद्दीकी रदियल्लाहु अनहा से रिवायत है : नबी ए करीम ﷺ ने फरमाया जब निसफ़ ए शाबान की रात आती है अल्लाह तआला आसमान ए अव्वल में इस्तवा करता है और अपने बंदो की मगफिरत करता है सिवाए मुशरिक और दिलो में बुग्ज़ नफ़रत रखने वालो के
संदर्भ: (इमाम आसिम अस सुन्नत खंड: 01, पृष्ठ: 222, हदीस: 509)
अब्दुल्ला इब्न अम्र इब्न अल आस رضي الله عنه रिवायत करते हैं : नबी करीम ﷺ ने फरमाया, अल्लाह तआला 15वीं शाबान की शब पर नज़रे करम करता है और अपने बंदो को बख्श देता है सिवाए कीना करने और नाहक़ क़त्ल करने वालों के
सन्दर्भ: (मुसनद अहमद खंड: 06, हदीस: 197 – 98, हदीस: 6642)
हज़रत अब्दुल्लाह इब्न उमर رضي الله عنه से रिवायत है : आप ﷺ ने फरमाया, 5 रातें ऐसी हैं जिनमें दुआ रद्द नहीं होती और वो जुमा की रात, रजब की पहली रात, शाबान की 15वीं रात और ईदैन की दोनों रातें हैं।
संदर्भ: (मुसन्नफ अब्दुर रज्जाक खंड: 04, पृष्ठ: 317, हदीस: 7927)
حضرت سیدنا اُسامہ بن زید رضی اللہ عنہ فرماتے ہے مینے ارز کیا یا رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم میں دیکہتا ہوں جس تارہ آپ شعبان میں روزا رکھتے ہیں اس ترہ کسی بھی مہینے میں نہیں رکھتے ؟فرمایا رجب اور رمضان کے درمیاں میں مہینا ہے لوگ اس سے غافل ہیں، ہے اسمے لوگو کے عمل اللہ رب العالمین کی ترف اٹھائے جاتے ہیں اور مجھے یہ محبوب ہے کے میرے عمل اس حال میں اٹھایا جائے کی میں روزدار ہوں
حوالہ: (سنن نسائی ص: 267، کتاب الصوم، باب 70: نبی کے روزے رکھنے کا بیان، حدیث: 2358)
حضرت معاذ بن جبل رضی اللہ عنہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم سے روایت کرتے ہیں : آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا، اللہ تعالیٰ شعبان کی 15 وی شب اپنے مخلوق کی ترف نظر اے رحمت فارماکر تمام مخلوق کی مغفرت فرما دیتا ہیں سیوائے مشرک اور کینہ رکھنے والے کی
حوالہ (صحیح ابن حبان: 12، ص: 479، حدیث: 5665) (امام طبرانی المعجم الکبیر جلد: 20، ص: 108، حدیث: 215)
حضرت ابوبکر صدیق رضی اللہ تعالیٰ عنہ سے روایت ہے نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فارمایا، جب نصف شعبان کی رات آتی ہے اللہ تعالیٰ آسمان اے اوّل میں استواء کرتا ہے اور اپنے بندو کی مغفرت کرتا ہے سیوائے مشرک اور دلوں میں بگج نفرت رکھنے والو کے
حوالہ جات: (امام عاصم السنۃ جلد: 01، ص: 222، حدیث: 509)
عبداللہ بن عمرو بن العاص رضی اللہ عنہ روایت کرتے ہیں نبی کریم صلی االلہ علیہ وسلم نے فرمایا، اللہ تعالیٰ 15 شعبان کی شب پر نظر کرم کرتا ہے اور اپنے بندوں کو بخش دیتا ہے سیوائے کینہ کرنے اور ناحق قتل کرنے والو کے۔حوال
حوالہ جات: (مسند احمد جلد: 06، حدیث: 197-98، حدیث: 6642)
حوالہ: (مصنف عبد الرزاق جلد: 04، ص: 317، حدیث: 7927) (مصنف عبدالرزاق جلد: 04، حدیث: 317، حدیث: 7927)
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