Ahle Sunnat Wal Jamaat Kya Hain | अहले सुन्नत हदीस में।

Ahle Sunnat Wal Jamaat Kya Hain?

सबसे पहले हम मुसलमान हैं क्योंकि अल्लाह तआला ने हमारा नाम मुसलमान रखा है कु़रआन में। लेकिन जब मुनाफिक़ और बदमज़हब घुस आए और वो भी अपने आप को मुसलमान कहने लगे तब हम पहचान के लिए अपने को अहले सुन्नत वल जमाअ़त कहते हैं।

सहाबा ने और अहले बैत ने भी अपने आप को Ahle Sunnat Wal Jamaat कह कर मुख़ातिब किया है और ये Ahle Sunnat Wal Jamaat हुज़ूर ﷺ की जमाअ़त है।

इमाम हुसैन رضي الله عنه ने यज़ीदियो से फरमाया: मेरे नाना अल्लाह के रसूल ﷺ ने मुझसे और मेरे भाई हसन से फरमाया, तुम दोनों जन्नती जवानों के सरदार हो और अहले सुन्नत की आँखों की ठंडक |(संदर्भ: इब्न असीर – तारीख 3/419)

इब्ने तैमिया जिनका विसाल 728 हिजरी में हुआ, वो अपने मशहूर फतावा में लिखते हैं, निजात पाने वाला गिरोह सिर्फ Ahle Sunnat Wal Jamaat है, यही सबसे बड़ी जमाअ़त है और यही सवादे आ’ज़म है। (संदर्भ: फतवा इब्ने तैमिया, खंड 3, पृष्ठ संख्या 345।)

इमाम मुल्ला अ़ली क़ारी رحمتہ اللہ علیہ जिनका विसाल 741 हिजरी में हुआ, वो अपनी मिरक़ात शरह़ मिश्कात में लिखते हैं, इसमे कोई शक ओ शुबा नहीं के निजात पाने वाला गुरोह सिर्फ Ahle Sunnat Wal Jamaat है।ये 72 फिरके़ सब जहन्नमी है और निजात पाने वाला गिरोह सिर्फ अहले सुन्नत है। (संदर्भ: मिरक़ात शरह मिश्कात, खंड 1, पृष्ठ संख्या 381)

इमाम मुस्लिम رضي الله عنه जिनका विसाल 261 हिजरी में हुवा वो जलीलुल क़द्र तब’ई इमाम मुह़म्मद बिन सीरीन رضي الله عنه के हवाले से बयान करते हैं -पहले जमाने में मोहद्दिसीन अस्नाद के बारे में सुवाल नहीं करते, लेकिन जब फितना बरपा हो गया तो कहते ह़दीस बयान करने वाले का नाम लो, अगर बयान करने वाला अहलेसुन्नत से होता तो क़ुबूल कर लिया जाता, अगर बिद’तियों में होता तो उसकी ह़दीस नहीं ली जाती थी। (संदर्भ: सह़ीह़ मुस्लिम, पृष्ठ संख्या 8)

इमाम ज़हबी رحمتہ اللہ علیہ जिनका विसाल 748 हिजरी में हुआ, वो अपनी किताब तज़किरतुल हुफ़्फ़ाज़ में इमाम सुफ़ियान सौरी رحمتہ اللہ علیہ का क़ौल लिखते हैं, तू सिर्फ उसी आदमी के पीछे नमाज़ पढ़ जिस पर तुझे ए’तेमाद हो और तू जानता हो कि उसका तअ़ल्लुक़ अहले सुन्नत के साथ है, ये बात इमाम सुफियान सौरी رحمتہ اللہ علیہ से साबित है। (संदर्भ: तज़किरत ह़ुफ्फ़ाज़, खंड 1, पृष्ठ संख्या 207)

इमाम लालकाई رحمتہ اللہ علیہ जिनका विसाल 418 हिजरी में हुवा वो हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास رضی الله عنه Se रिवायत नक़्ल करते हैं अहलेसुन्नत (सुन्नी) के चेहरे को देखना इबादत है।संदर्भ: शरह उसूल ए’तेक़ाद, पृष्ठ संख्या 57।

इमाम ग़ज़ाली رحمتہ اللہ علیہ जिनका विसाल 477 हिजरी में हुवा वो अपनी किताब किमियाए सआ़दत में लिखते हैं, ऐसी चीज़ जो मख़लूक़ की ग़िज़ा है या’नी अहलेसुन्नत का ए’तेक़ाद, हम उसको बयान करते हैं ताकि हर शख़्स ये ए’तेक़ाद अपने दिल में जमाये के यही उसकी सआ़दत का बीज होगा। (संदर्भ: किमियाए सआ़दत मुतर्जिम, पृष्ठ संख्या 109)

इमाम क़ुर्तु़बी जिनका विसाल 671 हिजरी में हुवा वो अपनी मशहूर तफ़सीर में लिखते हैं, क़ियामत के दिन अहलेसुन्नत के चेहरे रोशन होंगे और बिद़अतियों के सियाह (काले) होंगे। (संदर्भ: तफ़सीर ए क़ुर्तु़बी, खंड 5, पृष्ठ संख्या 255)

इमाम इस्माईल हक़्की़, जिनका विसाल 1147 हिजरी में हुआ, वो अपनी मशहूर तफ़सीर ए क़ुरआन में अपने शैख की हिदायत को बयान करते हैं के उन्होने एक मर्तबा कहा, मैं शरीअ़त, तरीक़त, मअ़रिफत, हकी़क़त के ऐ’तेबार से अहले सुन्नत वल जमाअ़त के मज़हब पर हूं, मुझे इसी हवाले से पहचानो और दुनिया और आखिरत में इसी हवाले से मेरे गवाह बन जाओ, मैं इसी मसलक पर क़ायम हूं Rehne Ki Waseeyat Karta Hun। (संदर्भ: तफ़सीर रूहुल बयान, खंड 5, पृष्ठ संख्या 103)


Ahle Sunnat Wal Jamaat Kya Hain | अहले सुन्नत हदीस में|

बिदअ़ती क्या हैं?

बिदअ़ती वो है जो अहले सुन्नत वल जमात के अक़ीदो के ख़िलाफ़ दूसरा कोई अक़ीदा रखता हो (संदर्भ: ग़ुनियातुल मुस्तमली पृष्ठ 514)

इमाम अबू हनीफा رضي الله عنه से किसी ने पूछा, अहले-सुन्नत वल-जमाअ़त का अक़ीदा क्या है? आप ने फरमाया: ये कि अबू बक्र और उ़मर को अफ़ज़ल माने और उस्मान और अ़ली से मुह़ब्बत करे (संदर्भ: अली बिन सुल्तान का़री शरह़ फ़िक़्ह अकबर पृष्ठ 136)

सय्यिदुना ज़ैनुल आ़बिदीन رضي الله عنه ने फरमाया:अहले सुन्नत की निशानियों में से एक रसूल अल्लाह ﷺ पर कसरत से दुरूद पढ़ना है (संदर्भ: इस्माईल इस्बहानी – शरह़ अत्तरग़ीब वत्तरहीब 2/333)

जब कोई किसी (सुन्नी) को नस़बी कहे तो समझ जाना कि वो खुद राफज़ी है- इमाम बुखारी के शेख, इमाम अली बिन मदिनी (संदर्भ: शरह उसूले ए’तेका़द 1/147)

इमाम नसाफ़ी से 934+ साल पहले पूछा गया उस हिकायत के बारे में के का’बा किसी वली की ज़ियारत को गया तो क्या ऐसा मानना जायज़ है? तो फरमाया अहले सुन्नत के नज़दीक करिश्मा करामत के तोर पर अहले विलायत के लिए मुमकिन है” ( या’नी का’बे का वलियों की ज़ियारत को जाना मुम्किन है)

(इमाम तफ़्तज़ानी (793 एएच) – शरह मक़ासिद 5/70 इमाम शिर्बिनी (977 हिरजी) – सिराज उल मुनीर 1/212इमाम हस्काफ़ी (1088 हिजरी) – रद्दुल मुख्तार पृष्ठ 253 इमाम इब्न आ़बिदीन (1252 हिजरी) – दुर्रे मुख़्तार 4/260इमाम आलूसी (1270 हिजरी) – तफ़सीर 12/15 इब्राहीम लाक़ानी (1041 हिजरी) – शरह़ कबीर 4/1322)

जान लो! अल्लाह ने तुमपर फ़ज़्ल किया, के अहले सुन्नत वल जमात 8 क़िस्म के लोग हैं, जिस्मे 6वी क़िस्म ज़ुहद सूफी है (Al Farq bayn Al Firaq page 273)


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