Pehla Kalma | पहला कलमा तर्जुमा और फ़ज़ीलत | Kalima No. 1

अस्सलामु अलैकुम्, उम्मीद है के आप सभी खैरो आफियत से होंगे| आज हम आप को Pehla Kalma Tarjuma, Fazilat बताने वाले हैं उम्मीद है आप इस पोस्ट को पढ़ कर दूसरों तक भी पहुॅचायेंगे।

जैसा के आप सभी को पता है के इल्मे दीन सीखना हर आकिल व बालिग मुसलमान मर्द और औरत पर फर्ज़ है तो हमें भी चाहिए के हम भी इल्मे दीन सीखे और दूसरों को भी सिखाये ।


Pehla Kalma Tayyab| पहला कलमा तय्यब हिंदी और इंग्लिश में

لا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ مُحَمَّدٌ رَّسُولُ اللَّهِ
ला इलाहा इलल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाहि
La Ilaha Illallaahu Muhammadur Rasoolullaah

तर्जुमा: अल्लाह ताला के सिवा कोई माबूद नहीं मोहम्मद अल्लाह के रसूल हैं


पहले कलमे की 8 फजीलत

Pehla Kalma

जहां भी हो, जिस वक्त भी हो, जितना मुमकिन हो,“إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ“ का जिक्र करें।

(1) हदीस शरीफ में आया है के वो जिक्र जो किसी वक्त, जगह और सबब के साथ मख़्सूस नहीं, वो “لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ“ है, यही सब से अफज़ल जिक्र है। दूसरी हदीस में है यही सब से बड़ कर नेकी है।

(2) हदीस में आया है के रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमायाः क़यामत के दिन मेरी शफाअत से सब से ज़ियादा बहरा वर वो शख्स होगा जिसने दिल व जान से यानी खुलुसे कल्ब के साथ “لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ“ कहा होगा।

(3) हदीस में है के रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमायाः जिस शख्स ने “لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ“ कहा उसके दिल में ज़ररा बराबर भी खुलुस या ईमान होगा वो दोज़ख से निकाल लिया जाएगा, और जिस शख्स ने यह कलमा कहा और उसके दिल में गेहूँ के बराबर भी खुलुस या ईमान होगा वो भी दोज़ख से निकाल लिया जाएगा, और जिसने यह कलमा कहा और उसके दिल में ज़ररा बराबर भलाई या ईमान होगा वो भी दोज़ख से निकाल लिया जाएगा।

(4) जिस शख्स ने दिल से “لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ” कहा वो जन्नत में ज़रूर दाखिल होगा, अगर चे उसने ज़ीना और चोरी (जैसे गुनाह) भी किए हों, अगर उसने ज़ीना और चोरी भी की हो, अगर उसने ज़ीना और चोरी भी की हो तीन मर्तबा फरमाया।

(5) हदीस में आया है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमायाः तुम अपने ईमान को ताज़ा करते रहा करो और सहाबा ने अर्ज कियाः या रसूल अल्लाह ! ईमान को कैसे ताज़ा करें, आपने फरमायाः क़सरत से “لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ कहते रहा करो।

(6) हदीस में आया है कि – रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमायाः لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ का जिक्र कोई गुनाह बाक़ी नहीं रहने देता, और कोई भी अमल उसके बराबर नहीं है।

(7) हदीस में है: لَ إِلَهَ إِلَّا اللهُ का जिक्र कोई गुनाह बाक़ी नहीं रहने देता, और कोई भी अमल उसके बराबर नहीं है।

(8) एक हदीस में आया है: जब भी कोई बंदा दिल से ” إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ“ कहता है उसके लिए आसमानों के दरवाज़े खुल जाते हैं यहां तक कि वो अर्श तक पहुँच जाता जब तक के वो बड़े गुनाहो से बचता रहा हो ।

तिरमिज़ी, अन – जाबिर [1] बुखारी, अन अबी हुरैरह [2] बुखारी, तिरमिज़ी, अन अनस [3] मुस्लिम, अन अबीज़र [4] अहमद, तीबरानी, अन अबु हुरैरह [5] तिरमिज़ी, अन अबी मालिक अल-आशरी [6] इब्न माजह, सफहा 277. हाकिम, उम हानि तिरमिज़ी, हाकिम, नसाई, अन इब्न उमर [7] [8]


हवाला

मोजमे सग़ीर ९९२


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