Istikhara ki Dua | इस्तिखारा की दुआ | Istikhara Dua -1

अस्सलामु अलैकुम्, उम्मीद है के आप सभी खैरो आफियत से होंगे।आज हम आप को Istikhara ki Dua | इस्तिखारा की दुआ बताने वाले हैं।


Istikhara ki Dua | इस्तिखारा की दुआ | Istikhara Dua

اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْتَخِيْرُكَ بِعِلْمِكَ وَاسْتَقْدِرُكَ بِقُدْرَتِكَ وَأَسْأَلُكَ مِنْ فَضْلِكَ الْعَظِيمِ () فَإِنَّكَ تَقْدِرُ وَلَا أُقْدِرُ وَتَعْلَمُ وَلَا أَعْلَمُ وَأَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوبِ () اللَّهُمَّ إِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هُذَا الْأَمْرَ خَيْرٌ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي فَاقْدِرْهُ لِي وَيَسِّرْهُ لِي ثُمَّ بَارِكْ لِي فِيْهِ وَإِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الْأَمْرَ شَرٌّ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي أَوْ عَاجِلِ أَمْرِي وَاجِلِهِ فَاصْرِفُهُ عَنِّي وَاصْرِفْنِي عَنْهُ وَاقْدِرُ لِيَ الْخَيْرَ حَيْثُ كَانَ ثُمَّ ارْضِنِي بِهِ


अल्लाहुम्मा इन्नी अस्तखिरुका बि’इल-मिक, वा अस्ताकदिरुका बि कुदरतीक, वा असलुका मिन फडलिकल-‘अज़ीम। फ़ा इन्नाका तकदिरु वा ला अक़दिर, वा ता’अलामु वा ला आलम, वा अंता ‘अल्लामुल-ग़ुय्यूब। अल्लाहुम्मा इन कुंटा त’लमु अन्ना हज़ल-अमरा ख़ैरून ली फ़ी दीनी वा मा’शी वा ‘अकीबती आमरी, फ़क़दिरहु ली वा यासिरहु ली, थुम्मा बारिक ली फ़िही। वा इन कुंटा ता’लमु अन्ना हज़ल-अमरा शररुन ली फाई दीनी वा म’आशी वा ‘अकीबती अमरी, अव ‘अजिली अमरी वा अजिलिही, फसरिफु’ एनी वास्रिफनी ‘अन्हु, वक़दिर ली अल-खैरा हयाशु काना, शुम्मा अरदिनी बिहि।


Allahumma inni astakhiruka bi’il-mik, wa astaqdiruka bi qudratik, wa as’aluka min fadlikal-‘azim. Fa innaka taqdiru wa la aqdir, wa ta’lamu wa la a’lam, wa anta ‘allamul-ghuyub. Allahumma in kunta ta’lamu anna hazhal-amra khayrun li fi deeni wa ma’ashi wa ‘aqibati amri, faqdirhu li wa yassirhu li, thumma barik li fihi. Wa in kunta ta’lamu anna hazhal-amra sharrun li fi deeni wa ma’ashi wa ‘aqibati amri, aw ‘ajili amri wa ajilihi, fasrifhu ‘anni wasrifni ‘anhu, waqdir li al-khayra hayshu kana, shumma ardini bihi.


Istikhara ki Dua ka Tarjuma | इस्तिखारा की दुआ का तर्जुमा

Istikhara ki Dua

तर्जुमा: ए अल्लाह! मैं तेरे इलम के ज़रीया तुझ से खैर मांगता हूँ और तेरी कुदरत के ज़रीया तुझ से कुदरत तलब करता हूँ और तेरे बड़े फ़ज़ल का तुझ से सवाल करता हूँ क्यों कि बिला-शुबा तुझे कुदरत है और मुझे कुदरत नहीं और तू जानता है और में नहीं जानता और तू गैबों का खूब जान्ने वाला है

ए अल्लाह ! अगर तेरे इलम में मेरे लिए ये काम मेरी दुनिया और आख़िरत में बेहतर है तो इस को मेरे लिए मुक़द्दर फ़रमा और उसे मेरे लिए आसान फ़रमा फिर मेरे लिए इस में बरकत फ़रमा और अगर तेरे इलम में मेरे लिए ये काम मेरी दुनिया व आख़िरत मै शर और बुरा है तो इस को मुझ से और मुझ को इस से दूर फ़रमा और मेरे लिए खैर मुक़द्दर फ़रमा जहां कहीं भी हो फिर इस पर मुझे राज़ी फ़रमा


Istikhara ki Dua ki Fazilat | इस्तिखारा की दुआ की फजीलत

صا الله से रिवायत है कि रसूल हम को الله हज़रत जाबिर अहम कामों में इस तरह इस्तिख़ारा तालीम फ़रमाते थे जिस तरह कुरआन की आयत सिखाते थे। आप صلى फ़रमाते थे कि जब तुम में से कोई शख़्स अहम काम का इरादा करे तो फ़र्ज़ी के इलावा दो रकात नमाज़ पढ़े फिर ये दुआ करे। (जब हाज़ल अमर पर पहुंचे तो अपने काम का ध्यान करे जिस लिए इस्तिख़ारा कर रहा है)

हवाला: तिरमिज़ी ४८०


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