Asar ki Namaz | असर की नमाज का तारिका, रकात और फजीलत

अस्सलामु अलैकुम्, उम्मीद है के आप सभी खैरो आफियत से होंगे । आज हम आप को Asar ki Namaz का तारिका, रकात और फजीलत बताने वाले हैं उम्मीद है आप इस पोस्ट को पढ़ कर दूसरों तक भी पहुॅचायेंगे।


असर की नमाज़ की रकअत | Asar ki Namaz ki Rakat

असर में कुल 8 रकअत नमाज है। पहले 4 रकअत नमाज़ सुन्नत ए ग़ैर मुअक्कदह और 4 रकअत नमाज़ फ़र्ज़।


असर की नमाज़ की नियत | Asar ki Namaz ki Niyat

असर की सुन्नत नमाज़ की नियत किस तरह करना चाहिए?

नियत की मैने 4 रकअत नमाज सुन्नत अल्लाह ताला के लिए, सुन्नत रसूलुल्लाह की मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर

असर की फ़र्ज़ नमाज़ की नियत कैसी है?

नियत की मैंने 4 रकात नमाज ए असर की वास्ते अल्लाह ताला के (मुक्तदी इतना और कहे) पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर


असर की 4 रकात सुन्नत नमाज़ का तरीका

नियत बांधने के बाद सब से पहले सना पढ़े।

फिर आउज़ुबिल्लाह और बिस्मिल्लाह के बाद सूरह फातिहा की तिलावत करें।

उसके बाद कोई सूरत मिलाए जो अच्छी तरह याद हो। या ऐसी कोई ऐक आयत पढें जो 3 छोटी आयतें के बराबर हो।

फिर अल्लाहु अकबर कहता हुआ रुकू में जाए और कम से कम 3 बार रुकू की तस्बीह पढ़े। (यानि सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़े)

समिअल्लाहु लिमन हमीदा कहता हुआ खड़ा हो जाए।

फिर अल्लाहुअकबर कहता हुआ सजदे में जाए।

सजदे में कम से कम 3 बार तस्बीह यानी सुब्हान रब्बियल आला पढ़े।

इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठकर बैठे।

फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाए और इसमें भी 3 तस्बीह पढ़े। (सुब्हान रब्बियल आला)

दोनों सजदे पूरा करने के बाद 2श्री रकात के लिए अल्लाहु अकबर कहता हुआ खड़ा हो जाए।

फिर सूरह फातिहा की तिलावत के बाद सूरत मिलाये। फिर पहली ही रकात की तरह रुकू और सजदा करे।

(रकअत पर Qaada करे)

दो रकअत पर क़दा के लिए बैठ जाये। अत्तहियात पढ़ कर अल्लाहु अकबर कहता हुआ खड़ा हो जाये।

तीसरी और चौथी रकात में सूरह फातिहा पढ़े और सूरह मिलाए

(4 रकअत पूरी होने के बाद क़दा करे)

अत्तहियत, दुरूद ए इब्राहीम और दुआ ए मसूर पढ़ कर सलाम फेर दे।


असर की 4 रकअत फ़र्ज़ नमाज़ का तरिका | Asar ki 4 Rakat Farz Namaz ka Tarika

Asar ki namaz,Do Sajdo ke Darmiyan ki Dua

नियत बांधने के बाद सब से पहले सना पढ़े।

फिर आउज़ुबिल्लाह और बिस्मिल्लाह के बाद सूरह फातिहा की तिलावत करें।

उसके बाद कोई सूरत मिलाए जो अच्छी तरह याद हो। या ऐसी कोई ऐक आयत पढें जो 3 छोटी आयतें के बराबर हो।

फिर अल्लाहु अकबर कहता हुआ रुकू में जाए और कम से कम 3 बार रुकू की तस्बीह पढ़े। (यानि सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़े)

समिअल्लाहु लिमन हमीदा कहता हुआ खड़ा हो जाए।

फिर अल्लाहुअकबर कहता हुआ सजदे में जाए।

सजदे में कम से कम 3 बार तस्बीह यानी सुब्हान रब्बियल आला पढ़े।

इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठकर बैठे।

फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाए और इसमें भी 3 तस्बीह पढ़े। (सुब्हान रब्बियल आला)

दोनों सजदे पूरा करने के बाद 2श्री रकात के लिए अल्लाहु अकबर कहता हुआ खड़ा हो जाए।

फिर सूरह फातिहा की तिलावत के बाद सूरत मिलाये। फिर पहली ही रकात की तरह रुकू और सजदा करे।

(रकअत पर Qaada करे)

दो रकअत पर क़दा के लिए बैठ जाये। अत्तहियात पढ़ कर अल्लाहु अकबर कहता हुआ खड़ा हो जाये।

तीसरी और चौथी रकात में सिर्फ सूरह फातिहा पढ़े और सूरह नहीं मिलना है.

(4 रकअत पूरी होने के बाद क़दा करे)

अत्तहियत, दुरूद ए इब्राहीम और दुआ ए मसूर पढ़ कर सलाम फेर दे।


Note: इमाम के पीछे मुक़्तदी को क़िरात नहीं करना है। साना पढ़ने के बाद खामोशी से खड़े रहना है। नियत में भी थोड़ा फर्क रहेगा, जब इमाम के पीछे पढ़े तो नियत में इतना और बढ़ा दे पीछे, इस इमाम के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर

असर की नमाज़ की फ़ज़ीलत | Asar ki Namaz ki fazilat

बीच वाली नमाज की फजीलत के बारे में हुजूर ﷺ ने इरशाद फरमाया: जिस ने असर छोड़ी उसके अमल बातिल हो गए।

इसी तरह अल्लाह ताला ने कुरान में असर की फ़ज़ीलत को बयान फरमाया। नमाज़ की पाबन्दी करो विशेष रूप से नमाज़ ए असर की पाबन्दी करो।

हुजूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं। हर नमाज़ दूसरे नमाज़ के बीच के गुनाहों को धो देती है।

हुजूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं. जिस ने फजर और असर की नमाज अदा की वो जहन्नम में दाखिल नहीं होगा।


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