Baitul Muqaddas: इज़्ज़त और फ़ज़ीलत( Hindi, Urdu) 1

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Baitul Muqaddas: इज़्ज़त और फ़ज़ीलत हिंदी

बैतुल मुक़द्दस बा बरकत सर ज़मीन हैं बैतुल मुक़द्दस को अल्लाह ﷻ ने बहुत इज्ज़त व शरफ अता किया है, कुरान व सुन्नत की मुस्तअद नुसूस में इसकी फज़ीलत बयान फरमायी गई है और इसे काई अम्बिया ए किराम अलैहि नबिय्यना व अलैइस्सलातु वस्सलाम से निसबत हासिल है. क़ुरआन ए करीम में अल्लाह ﷻ ने मस्जिद ए अक्सा पर मुस्ताअदद मक़ामात और उसके इर्द गिर्द इलाके को बा बरकत फरमाया है। मोजज़ा ए मेराज ए रसूल ﷺ का जिक्र करते हुए बारी तआला ने फरमायाः

सूरह बनी इसराईल आयत नंबर 1। (سورہ بنی اسرائیل آیت نمبر 1)

سُبۡحٰنَ الَّذِیۡۤ اَسۡرٰی بِعَبۡدِہٖ لَیۡلًا مِّنَ الۡمَسۡجِدِ الۡحَرَامِ اِلَی الۡمَسۡجِدِ الۡاَقۡصَا الَّذِیۡ بٰرَکۡنَا حَوۡلَہٗ لِنُرِیَہٗ مِنۡ اٰیٰتِنَا ؕ اِنَّہٗ ہُوَ السَّمِیۡعُ الۡبَصِیۡرُ ﴿۱﴾

कंज़ुल ईमान तर्जुमा (کنز الایمان ترجمہ)

पाकी है उसे जो रातों रात अपने बंदे को ले गया मस्जिद ए हराम से मस्जिद ए अक्सा तक जिसके इर्द् गिर्द हमने बरकत रखी के हम उसे अपनी अजीम निशानियाँ दिखाएँ बेशक वो सुनता देखता है।

बरकत का सबब: मशहूर मुफस्सिर ए कुरान काज़ी अब्दुल्ला बिन उमर رضي الله عنه बैतुल मुक़द्दस को बा बरकत फरमाने की वजह ज़िक्र करते हुए लिखा:

((आयत)) यानी बयतुल मुक़द्दस में अल्लाह तआला ने दीन व दुनिया की बरकत रखी है। दिन बरकत ये है कि उस सर ज़मीन में अंबिया अलैहि वसल्लम नबीयना अलैइस्सलातु वस्सलाम पर वही नाजिल होती रही और साय्येदीना मूसा अलैहि नबीयना व अलैइस्सलातु वस्सलाम के बाद तमाम अम्बिया ए किराम की वहाँ इबादत रही। दुनियावी बरकत ये है कि वहाँ करीब जवार में नेहरों और खेतों की कसरत है, जिसके सबब ये सर ज़मीन बेहतरीन ऐशो राहत का मुकाम है।

बैतुल मुक़द्दस पहले से बरकत वाला था मगर इसकी बरकत तब उरूज पर पहुँच गई जब सफर ए मेराज के पहले मरहले में सरकार ए दो आलम ﷺ ने यहां क़दम रखे…… यही वो हसीन मंज़र ज़ाहिर हुआ था जब तमाम अम्बिया ए किराम अलैहि नबीयेना व अलयिस्सलातु वस्सलाम पिचे सफ बस्ता हाज़िर थे और खातीमुल अम्बिया ﷺ इमामत फरमा रहे थे।

بیت المقدس: عزت اور فضیلت

Baitul Muqaddas मस्जिद ए अक्सा में नमाज़ की फज़ीलत(Sunni) 2(1)

بیت المقدس ببرکات سر زمین ہیں بیت المقدس کو اللہ تعالٰی نے بہت عزت و شرف عطا کیا ہے، قرآن و سنت کی مستعد نصوس میں اسکی فضیلت بیان فرمائی گئی ہے اور اسے کئ انبیاء کرام علیہم السلام سے نسبت حاصل ہیں۔ قرآن کریم میں اللہ تعالٰی نے مستعد مقام پر مسجد اقصیٰ اور اس کے ارد گرد علاقہ کو ببرکت فرمایا ہے۔ معراج رسول صلی اللہ علیہ وسلم کا ذکر کرتے ہوئے باری تعالیٰ نے فارمایا:

سورہ بنی اسرائیل آیت نمبر 1

سُبۡحٰنَ الَّذِیۡۤ اَسۡرٰی بِعَبۡدِہٖ لَیۡلًا مِّنَ الۡمَسۡجِدِ الۡحَرَامِ اِلَی الۡمَسۡجِدِ الۡاَقۡصَا الَّذِیۡ بٰرَکۡنَا حَوۡلَہٗ لِنُرِیَہٗ مِنۡ اٰیٰتِنَا ؕ اِنَّہٗ ہُوَ السَّمِیۡعُ الۡبَصِیۡرُ ﴿۱﴾

کنز الایمان ترجمہ

پاکی ہے اسے جو راتوں رات اپنے بندے کو لے گیا مسجد حرام سے مسجد اقصیٰ تک جس کے ارد گرد ہم نے برکت رکھی کہ ہم اپنی عظیم نشانیاں دیکھائیں بےشک وہ سنتا دیکھتا ہے

برکات کا سبب: مشہور مفسر قرآن قاضی عبداللہ بن عمر رضی اللہ عنہ بیت المقدس کو بہ برکات فرمانے کی وجہ ذکر کرتے ہوئے لکھا

آیت) یعنی بیت المقدس میں اللہ تعالیٰ نے دین و دنیا کی برکتیں رکھی ہے .*دینی برکت* یہ ہے کہ اس سرزمین میں انبیاء علیہم الصلوٰۃ والسلام پر وحی نازل ہوتی رہی اور سیدنا موسیٰ علیہ الصلوٰۃ والسلام کے بعد تمام انبیاء اکرم کی وہا عبادت رہی دنیاوی برکت یہ ہے کی وہ قریب جوار میں نہرو اور کھیل کی کثرت ہے، جس کے سبب یہ سرزمین بہترین عیش و راحت کا مقام ہے۔

بیت المقدس پہلے سے برکت والا تھا مگر اسکی برکات تب عروج پر پہونچ گئی جب سفر معراج کے پہلے مرہلے میں سرکار دو عالم ﷺ نے یہا قدم رکھے…… یہی وہ حسین منظر ظاہر ہوا تھا جب تمام انبیاء کرام وعلیٰ الصلوٰۃ والسلام پیچھے صف بستہ حاضر تھے اور خاتم الانبیاء صلی اللہ علیہ وسلم امامت فرما رہے تھے۔

बैतुल मुकद्दस को किसने बहुत इज़्ज़त और शर्फ़ अता किया है?

बैतुल मुकद्दस को आल्लाह ﷻ ने बहुत इज़्ज़त और शरफ़ अता किया है।

बैतुल मुकद्दस कि किस किताब में इसकी फ़ज़ीलत बयान फरमाई गई है?

इसकी फ़ज़ीलत कुरान व सुन्नत की मुस्तअदद नुसूस में बयान फ़रमाई गई है।

कुरान-ए-करीम में अल्लाह ने किस मकामात पर मस्जिद-ए-अक्सा और उसके इर्द गिर्द इलाके को बारकत फरमाया है?

क़ुरान-ए करीम में अल्लाह ने मस्जिद-ए अक्सा और उसके इर्द-गिर्द इलाके को बारकत फरमाई है।

मोज़िज़ा-ए मेराज-ए रसूल ﷺ का ज़िक्र करते हुए बारी त’आला ने क्या फरमाया?

मोज़िज़ा-ए मेराज-ए रसूल ﷺ का ज़िक्र करते हुए बारी त’आला ने फरमाया है, “पाकी है उसे जो रातों रात अपने बंदे को ले गया मस्जिद-ए हराम से मस्जिद-ए अक्सा तक, जिसके इर्द-गिर्द हमने बरकत रखी। कि हम उसे अपनी अज़ीम निशानियाँ दिखाएं। बेशक वह सुनता देखता है।

मशहूर मुफस्सिर ए क़ुरआन, क़ाज़ी अब्दुल्लाह बिन उमर (رضي الله عنه) ने बैतुल मुकद्दस को बाबरकत फरमाने की वजह क्या बताई?

मशहूर मुफस्सिर ए क़ुरआन, क़ाज़ी अब्दुल्लाह बिन उमर (رضي الله عنه) ने बैतुल मुकद्दस को बाबरकत फरमाने की वजह बताई है कि अल्लाह त’आला ने दीन और दुनिया की बरकातें उसमें रखी हैं। दीनी बरकत में ये है कि उस सर ज़मीन में ‘अंबिया अलैहिस्सलाम पर वाही नज़िल होती रही और दुन्यावी बरकत में ये है कि वहाँ करीब जवार में नहरों और खेतों की कसरत है, जिसके सबब ये सर ज़मीन बेहतरीन आइश और राहत का मुकाम है।

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