अस्सलामु अलैकुम्, उम्मीद है के आप सभी खैरो आफियत से होंगे । आज हम आप को Tahajjud ki Namaz का तारिका, रकात और फजीलत बताने वाले हैं उम्मीद है आप इस पोस्ट को पढ़ कर दूसरों तक भी पहुॅचायेंगे।
हदीस शरीफ में तहज्जुद की नमाज की बड़ी फजीलत आई है। इब्न ए माजा से रिवायत है कि, हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फरमाया। जो शख़्स रात में बेदार हो और अपने अहल ओ अयाल ओ जगाए। फिर दोनो 2/2 रकअत नमाज़ अदा करें तो क़सरत से याद करने वालो में लिखे जायेंगे।
हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर से रिवायत है कि, हुज़ूर ने इरशाद फरमाया। जन्नत में एक बाला खाना है कि बहार का अंदर से दीखाई देता है और अंदर का बाहर से। औ मलिक अशरी ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह वो किस के लिए है। फरमाया: उस लिए जो अच्छी बात करे। खाना खिलाये . और रात में तहज्जुद की नमाज़ अदा करे जब लोग सोते रहे। [बहारे शरीयत 4/23]
Tahajjud ki Namaz ki Rakat
तहज्जुद की नमाज़ कम से कम 2 रकअत है। और हदीस शरीफ़ में हुज़ूर का मामूल 8 रकअत है। हज़रत ज़ैद बिन खालिद का बयान है कि मैं रात को हुज़ूर की नमाज़ को गौर से देखना चाहता था। इसलिए हुजूर के दरवाजे की चौखट पर तकिया लगाये देखता रहा। आप उठे और 2 रकात नमाज़ तहज्जुद की पढ़ी। उसके बाद 2 रकात लंबी कर के पढ़ी। देखा फिर 2 रकात पढ़ा जो उससे पहले वाली रकातों से कम थी। फिर 2 रकात आप ने पढ़ा जो इससे भी छोटी थी। फिर 2 रकात पढ़ा आप ने जो इस से भी छोटी थी। उसके बाद आप ने वित्र की नमाज अदा की |
Tahajjud ki Namaz ka Tarika
तहज्जुद की नमाज़ की पहली रकअत
- आप सबसे पहले तहज्जुद की नमाज़ की नियत करें।
- हमने नीचे तहज्जुद की नमाज़ की नियत भी बताई है।
- कानों तक हाथ ले जाए और अल्लाहु अकबर कहते हुए नाफ के निचे बांध ले| (नियत बांध लेंगे।)
- इसके बाद सना यानी सुब्हान क अल्लाहुम्मा पुरा पढ़ें।
- फिर तअव्वुज यानी अउजुबिल्लाह मिनश शैतानीर्रजीम पढ़ें।
- अब तस्मियह यानी बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम पढ़ेंगे।
- इसके बाद सूरह फातिहा यानी अलहम्दु शरीफ पुरा पढ़ें।
- सूरह फातिहा पुरा पढ़ने के बाद आहिस्ते से आमिन कहें।
- फिर सूरह इखलास पढ़ें या कोई भी सूरह पढ़ सकते हैं।
- इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकूअ में जाएं।
- रूकूअ में 3, 5, या 7 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
- फिर समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकूअ से उठें।
- रूकूअ से उठते उठते भर में रब्बना लकल हम्द भी कहेंगे।
- इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाएं।
- सज्दे में कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
- फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठ कर बैठ जाएं।
- फिर तुरंत अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करें।
- दुसरी सज्दा में भी तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
- अब अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं।
तहज्जुद की नमाज़ की दूसरी रकअत
- सबसे पहले यहां आप तअव्वुज और तस्मियह पढ़ें।
- यानी कि अउजुबिल्लाह और बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़ें।
- इसके बाद सूरह फातिहा पढ़ें और आहिस्ते से आमिन कहें।
- यहां पर भी सूरह इख्लास पढ़ें या कोई सूरह पढ़ सकते हैं।
- फिर इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकूअ में जाएं।
- रूकूअ में कम से कम 3 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
- फिर समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकूअ से उठेंगे।
- फिर यहां भी उठने पर रब्बना लकल हम्द ज़रूर कहें।
- इसके बाद तुरंत अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा में जाएं।
- सज्दे में भी कम से कम 3 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
- फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठेंगे।
- फिर फ़ौरन अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करेंगे।
- दुसरी सज्दा में भी ज़रूर 3 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
- अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठ कर बैठ जाएं।
- इसके बाद तशह्हुद यानी अत्तहिय्यात पढ़ा जाता है।
- अत्तहिय्यात पढ़ते हुए कलिमे ला पर उंगली उठाएंगे।
- फिर तुरंत इल्ला पर उंगली गिरा कर सीधी कर लेंगे।
- इसके बाद दुरूदे इब्राहिम पढ़ें फिर दुआ ए मसुरा पढ़ें।
- अब अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कह कर सलाम फेर लें।
- पहले अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए दाहिने तरफ गर्दन घुमाएंगे।
- फिर दुसरी बार अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए बाएं तरफ गर्दन घुमाएंगे।
Tahajjud ki Namaz ki Niyat
2/2 रकअत कर के तहज्जुद की नमाज पढ़ना है। नियत इस तरह से करें-
नियत की मैंने 2 रकअत नमाज तहजुद वास्ते अल्लाह ताअला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर
एक बात याद रखें नियत दिल के इरादे को कहते हैं। अगर आप ने ज़बान से नियत के अल्फ़ाज़ नहीं कहे तो भी नमाज़ हो जायेगी। नियत ज़बान से कहना मुस्तहब है।
Kya Tahajjud ki namaz ke liye sona zaroori hai?
जी हाँ। तहज्जुद की नमाज़ के लिए सोना ज़रूरी है। बिना सोए अगर कोई रात में नमाज पढ़ता है तो वो नफिल नमाज तो होगी लेकिन वो तहज्जुद की नमाज नहीं होगी।
Tahajjud ki Namaz ka Fayda
तहज्जुद की नमाज अगर हम नमाज ए फजर से कुछ देर पहले पढ़ेंगे। तो इसका हमें एक बहुत ही अहम् फ़ायदा होगा। वो ये है कि ये वक्त फरिश्तों की ड्यूटी बदलने का होता है। इसलिए कि कुछ फरिश्ते सुबह फजर से असर तक जमीन पर रहते हैं। और कुछ फरिश्ते असर से फजर तक।
इस्लीए कि जहां अल्लाह ने नमाज़ की मुअफ़ाज़त का ज़िक्र फरमाया। वहां नमाज ए असर का खुसोसी जिक्र फरमाया। जब हम तहज्जुद की नमाज पढ़ेंगे तो दिन और रात दोनों फरिश्तों के रजिस्टर में हमारा नाम होगा। जैसा कि हुजूर ﷺ ने इरशाद फरमाया: आखिरी शब में नमाज अदा करो, क्योंकि ये फरिश्तों की हाजरी का वक्त है।
Tahajjud ki Namaz ka Time
तहज्जुद की नमाज का वक्त ईशा की नमाज के बाद थोड़ी देर सो लेने से शुरू हो जाता है। कुछ लोग ये कहते हैं कि तहज्जुद की नमाज का वक्त 12 बजे शुरू होता है। ये नजरिया गलत है, बल्की तहज्जुद की नमाज अगर ईशा की नमाज कहीं पर 8 बजे खत्म हो जाता है। तो वहां पर अगर कोई 10 मिनट सो ले तो नमाज ए तहज्जुद का वक्त शुरू हो जाएगा। लेकिन ज़ियादा बेहतर तहज्जुद की नमाज़ का वक़्त फ़ज़र से पहले का है। जो कि बहुत ही बेहतर वक़्त है।
Ending:-
मेंरे प्यारे मोमिनों आप ने अब तक तो तहज्जुद की नमाज़ अदा करना सिख ही लिया होंगे, अगर आपके मन में कोई सवाल हो तो आप हमसे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं और इस बात को ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच शेयर करें जिसे वो भी सही से तहज्जुद की नमाज़ पढ़ सकें।
एक बात और अगर कहीं पर आपको गलत लगा हो या कहीं कुछ छूट गई हो तो भी आप हमें कॉमेंट करके बता सकते करें ताकि हम अपनी गलतियां सुधार सकें। अल्लाह हम सभी को सही तरीके से नमाज पढ़ने की तौफीक अदा फरमाए।
तहज्जुद की नमाज़ का तरीका कैसे पढ़ी जाती है?
तहज्जुद की नमाज़ कम से कम 2 रकअत है। और हदीस शरीफ़ में हुज़ूर का मामूल 8 रकअत है। हज़रत ज़ैद बिन खालिद का बयान है कि मैं रात को हुज़ूर की नमाज़ को गौर से देखना चाहता था। इसलिए हुजूर के दरवाजे की चौखट पर तकिया लगाये देखता रहा। आप उठे और 2 रकात नमाज़ तहज्जुद की पढ़ी। उसके बाद 2 रकात लंबी कर के पढ़ी। देखा फिर 2 रकात पढ़ा जो उससे पहले वाली रकातों से कम थी। फिर 2 रकात आप ने पढ़ा जो इससे भी छोटी थी। फिर 2 रकात पढ़ा आप ने जो इस से भी छोटी थी। उसके बाद आप ने वित्र की नमाज अदा की |
तहज्जुद की कितनी रकात पढ़ी जाती है?
तहज्जुद की नमाज़ कम से कम 2 रकअत है। और हदीस शरीफ़ में हुज़ूर का मामूल 8 रकअत है।
तहज्जुद की नमाज़ का सही वक्त क्या है?
तहज्जुद की नमाज का वक्त ईशा की नमाज के बाद थोड़ी देर सो लेने से शुरू हो जाता है। कुछ लोग ये कहते हैं कि तहज्जुद की नमाज का वक्त 12 बजे शुरू होता है। ये नजरिया गलत है, बल्की तहज्जुद की नमाज अगर ईशा की नमाज कहीं पर 8 बजे खत्म हो जाता है। तो वहां पर अगर कोई 10 मिनट सो ले तो नमाज ए तहज्जुद का वक्त शुरू हो जाएगा। लेकिन ज़ियादा बेहतर तहज्जुद की नमाज़ का वक़्त फ़ज़र से पहले का है। जो कि बहुत ही बेहतर वक़्त है।
क्या तहजूद की नमाज़ के लिए सोना ज़रूरी है?
जी हाँ। तहज्जुद की नमाज़ के लिए सोना ज़रूरी है। बिना सोए अगर कोई रात में नमाज पढ़ता है तो वो नफिल नमाज तो होगी लेकिन वो तहज्जुद की नमाज नहीं होगी।
तहज्जुद की नमाज़ की नियत कैसे बांधे
नियत की मैंने 2 रकअत नमाज तहजुद वास्ते अल्लाह ताअला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर
एक बात याद रखें नियत दिल के इरादे को कहते हैं। अगर आप ने ज़बान से नियत के अल्फ़ाज़ नहीं कहे तो भी नमाज़ हो जायेगी। नियत ज़बान से कहना मुस्तहब है।
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