अस्सलामु अलैकुम, उम्मीद है आप सब अच्छे से होंगे आज के इस आर्टिकल मे हम आपको बताएंगे की Roza Rakhne ki Dua और इस दुआ को किस टाइम पढ़ा जाता है और अगर आप इस दुआ को आप पढ़ना भूल जाए तो क्या होगा।
दोस्तों रोज़े की नियत करना और Roza Rakhne ki Dua दोनों एक ही है और नियत दिल के इरादे का नाम है अगर आप इस दुआ को सहरी मे पढ़ना भूल जाए तो इन-शा-अल्लाह आपका रोज़ों हो जाएगा।
Roza Rakhne ki Dua | सेहरी की दुआ
وَبِصَوْمِ غَدٍ نَّوَيْتُ مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ
व बिसौमि गदिन नवैतु मिन शहरे रमज़ान
va bisaumi gadin navaitu min shahare ramazaan
तर्जमा: मैंने रमजान के इस रोज़े की नीयत की
Roza Kholne ki Dua | इफ्तार की दुआ
اَللّٰهُمَّ اِنَّی لَکَ صُمْتُ وَبِکَ اٰمَنْتُ وَعَلَيْکَ تَوَکَّلْتُ وَعَلٰی رِزْقِکَ اَفْطَرْتُ
अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुम्तु व बिका आमंतु व अलैका तवक्कल्तु व अला रिज़्क़का अफ्तरतु
Allahumma inni laka sumtu wa bika amantu wa alaika tawakkaltu wa ala rizqka aftaratu
Roza Kholne ki Dua ka Tarjuma
बेशक मैं ने तेरे लिए रोज़ा रखा, और तुझ पर ईमान लाया, और तुझ पर भरोसा किया, और तेरे ही रिज़्क़ से इफ्तार किया।
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