अस्सलामु अलैकुम्, उम्मीद है के आप सभी खैरो आफियत से होंगे।आज हम आप को Namaz e Janaza ka Tarika | नमाज़े जनाज़ा का तरीका और दुआ बताने वाले हैं उम्मीद है आप इस पोस्ट को पढ़ कर दूसरों तक भी पहुॅचायेंगे।
इसे पढ़ने के बाद आप आसानी से जनाजे की नमाज अदा कर सकेंगे। फिर इसके बाद आपको कहीं ओर जनाजे की नमाज का तरीका ढूंढना नहीं पड़ेगी इसीलिए आप इस आर्टिकल को ध्यान से और पूरा पढ़ें।
1. Namaz e Janaza ki Niyat | जनाजे की नमाज की नियत हिंदी में
नियत की मैंने नमाजे जनाजा कि फर्जे किफाया चार तकबीरो के साथ वास्ते अल्लाह तआला के दूरूद मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दुआ इस मय्यित के लिए पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।
2. Namaz e Janaza ka Tarika | नमाज़े जनाज़ा का तरीका
सबसे पहले आप जनाजे की नमाज की नीयत करें।
- अब अल्लाहु अकबर कहते हुए हाथ कान तक उठाएं।
- इसके बाद नाफ के नीचे दोनों हाथों को लाकर बांध लें।
- अब आप जनाजे की नमाज की सना धीमें आवाज में पढ़ें।
- इसके बाद बगैर हाथ को उठाए आप अल्लाहु अकबर कहें।
- हर बार इमाम आवाज़ में अल्लाहु अकबर कहेंगे आप धीरे कहें।
- दूसरी बार अल्लाहू अकबर कहने के बाद दुरूदे इब्राहिम पढ़ेंगे।
- अब बगैर हाथ को उठाए तिसरी बार अल्लाहु अकबर कहेंगे।
- तिसरी बार अल्लाहू अकबर कहने के बाद जनाजे की दुआ पढ़ें।
- मर्द व औरत बालिग व नाबालिग के लिए दुआ अलग अलग होती है।
- यहां चौथी मरतबा अल्लाहु अकबर कहने पर दोनों हाथों को छोड़ दें।
- अब आखिर में हर नमाज की तरह यहां भी सलाम फेरी जाती है।
- अब इमाम साहब अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहेंगे तो पहले दाहिने तरफ गर्दन घुमाएं।
- जब दुसरी बार अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहेंगे तो बाएं तरफ गर्दन को घुमाएं।
3. जनाजे की नमाज की सना हिंदी में
सुब्हान क अल्लाहुम्मा व बिहमदिका व तबार कस्मुका व तआला जद्दु क व जल्ला सनाउका व ला इल्लाहा गैरू क।
यहां भी अगर जनाजे की नमाज की सना या दुआ नहीं पढ़ सकते तो खामोश रहें ये जरूरी नहीं की आपको पढ़ना ही पढ़ना है आपकी इंटेंशन और मय्यित की मगफीरत की दुआ ही काफ़ी होती है।
4. जनाजे की नमाज की फजीलत
हज़रते सय्यिदिना अबु हुरैरा रदियल्लाहु से रिवायत है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: आज तुम में से किसने रोज़ा रखा , मिस्किन को खाना खिलाया , मरीज की इयादत की और जनाजे की नमाज में शरीक हुआ सब सवाल पर हज़रते सय्यिदिना अबु बक्र सिद्दिक रजि अल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया मैंने, इस पर हुजूर फरमाएं वो जन्नत में दाखिल होगा।
हज़रते सय्यिदिना अबु हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो नमाज अदा करने तक जनाजे में शरीक रहा उसके लिए एक किरात सवाब है और जो तदफीन तक शरीक रहा उसके लिए दो कीरात सवाब है पुछा गया दो कीरात क्या है? फ़रमाया दो अजीम पहाड़ों की मिसाल।
Ending:
मेरे प्यारे मोमिनों आप ने अब तक तो जनाजे की नमाज अदा करना सिख लिया होगा अगर आपके मन में कोई सवाल हो तो आप हमें कॉमेंट करके पूछ सकते हैं और इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें जिसे सब लोग जनाजे की नमाज सिख सकें।
इस पोस्ट में अगर कहीं पर आपको गलत लगा हो या कहीं कुछ छूट गया हो तो आप हमें कॉमेंट करके बता सकते ताकि हम अपनी गलतियों को सुधार सकें। इस के लिए आप को, हम सब का रब जरूर अज्र देगा इंशाल्लाह तआला।
जनाजे की नमाज की सना क्या हैं?
सुब्हान क अल्लाहुम्मा व बिहमदिका व तबार कस्मुका व तआला जद्दु क व जल्ला सनाउका व ला इल्लाहा गैरू क।
जनाजे की नमाज की फजीलत
हज़रते सय्यिदिना अबु हुरैरा रदियल्लाहु से रिवायत है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: आज तुम में से किसने रोज़ा रखा , मिस्किन को खाना खिलाया , मरीज की इयादत की और जनाजे की नमाज में शरीक हुआ सब सवाल पर हज़रते सय्यिदिना अबु बक्र सिद्दिक रजि अल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया मैंने, इस पर हुजूर फरमाएं वो जन्नत में दाखिल होगा।
नमाज़े जनाज़ा का तरीका क्या है?
सबसे पहले आप जनाजे की नमाज की नीयत करें।
अब अल्लाहु अकबर कहते हुए हाथ कान तक उठाएं।
इसके बाद नाफ के नीचे दोनों हाथों को लाकर बांध लें।
अब आप जनाजे की नमाज की सना धीमें आवाज में पढ़ें।
इसके बाद बगैर हाथ को उठाए आप अल्लाहु अकबर कहें।
हर बार इमाम आवाज़ में अल्लाहु अकबर कहेंगे आप धीरे कहें।
दूसरी बार अल्लाहू अकबर कहने के बाद दुरूदे इब्राहिम पढ़ेंगे।
अब बगैर हाथ को उठाए तिसरी बार अल्लाहु अकबर कहेंगे।
तिसरी बार अल्लाहू अकबर कहने के बाद जनाजे की दुआ पढ़ें।
मर्द व औरत बालिग व नाबालिग के लिए दुआ अलग अलग होती है।
यहां चौथी मरतबा अल्लाहु अकबर कहने पर दोनों हाथों को छोड़ दें।
अब आखिर में हर नमाज की तरह यहां भी सलाम फेरी जाती है।
अब इमाम साहब अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहेंगे तो पहले दाहिने तरफ गर्दन घुमाएं।
जब दुसरी बार अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहेंगे तो बाएं तरफ गर्दन को घुमाएं।
जनाजे की नमाज की नियत क्या है?
नियत की मैंने नमाजे जनाजा कि फर्जे किफाया चार तकबीरो के साथ वास्ते अल्लाह तआला के दूरूद मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दुआ इस मय्यित के लिए पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।
नमाज़े जनाज़ा की दुआ क्या है?
अल्लाहुम्मगफिर लिहय्यिना वा मय्यितिना वा शहीदिना वा ग़ा’इबीना वा सगीरिना वा कबीरिना वा धाकरिना वा उन्साना। अल्लाहुम्मा मन अह्ययताहु मिन्ना फा-अह यिही अलल-इस्लामी वा मन तवफ़्फ़यताहु मिन्ना फतवफ़्फ़ाहु अलल-ईमान
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