अस्सलामु अलैकुम्, उम्मीद है के आप सभी खैरो आफियत से होंगे |आज हम आप को Johar ki Namaz ka Tarika | जौहर की नमाज का तरीका, वक्त और रकात बताने वाले हैं उम्मीद है आप इस पोस्ट को पढ़ कर दूसरों तक भी पहुॅचायेंगे।
हर आकिल व बालिग मुस्लमान पर नमाज़ फर्ज है हम सभी को हर हाल 5 वक्त की नमाज़ अदा करनी चाहिए।
1. Johar ki Namaz ki Rakat | जोहर की नमाज़ की रकअत
जोहर की नमाज़ में कुल 12 रकअत है।
- 4 रकात सुन्नत
- 4 रकात फ़र्ज़
- 2 रकात सुन्नत
- 2 रकअत नफ़िल
सुन्नत और नफील नमाज़ को अकेला पढा जाता है और फ़र्ज़ नमाज़ को इमाम के पीछे और अकेले दोनो तरीके से पढ़ सकते है।
2. Johar ki namaz ki niyat | जोहर की नमाज़ की नियत
किसी भी नमाज़ को अदा करने के लिए हमें उस नमाज की नियत करनी होती है इसके बाद ही नमाज़ मुकम्मल होगी।
Note: इमाम के पीछे जमात में नमाज़ अदा न करते वक्त- वास्ते अल्लाह तआला के बाद पीछे इस इमाम के न कहें।
जैसे: नियत की मैंने 4 रकअत नमाज़ जौहर की फर्ज वास्ते अल्लाह ताला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर।
नोट: एक बात और याद रखें नियत दिल के इरादे को कहते हैं। ज़बान से नियत के अल्फ़ाज़ कहना ज़रूरी नहीं है। लेकिन ज़बान से नियत कर लेना बेहतर है।
2.1. जोहर की 4 रकात सुन्नत नमाज़ की नियत
नियत की मैने 4 रकअत नमाज सुन्नत जौहर की वास्ते अल्लाह ताला के सुन्नत रसूलुल्लाह की मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर।
2.2. जोहर की 4 रकात फर्ज नमाज़ की नियत (इमाम के पीछे)
नियत की मैंने 4 रकअत नमाज़ जौहर की फर्ज वास्ते अल्लाह ताला के पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर।
2.3. जोहर की 2 रकात सुन्नत नमाज़ की नियत
नियत की मैने 2 रकअत नमाज सुन्नत जौहर की वास्ते अल्लाह ताला के सुन्नत रसूलुल्लाह की मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर।
2.4. जोहर की 2 रकात नफ़िल नमाज़ की नियत
नियत की मैने 2 रकअत नमाज नफ़िल जौहर की वास्ते अल्लाह ताला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।
3. जोहर की 4 रकअत सुन्नत नमाज़ का तारिका
ज़ोहर की नमाज़ की सुन्नत ए मोअक्कदा है।
1. पहली रकअत
- नियत करने के बाद सना पढ़े। सना के अल्फ़ाज़ तरह पढ़े।
- सुब्हान कल्लाहुम्मा वबीहामदिका वतबारकसस्मुक वता अला जद्दुक वला ‘इलाह ग़ैरुक
- फ़िर अउज़ु बिल्लाहि मिनश शैतानिर राजिम पढ़े ।
- और उसके बाद बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़े।
- उसके बाद सूरह फातिहा का तिलावत करना है।
- और फिर किसी सूरह को पढ़ना है।
- हां एक आयत ऐसी जो 3 आयतों के बराबर हो।
- फ़िर अल्लाहु अकबर कहता हुआ रुकू में जाए। (और कम से कम 3 बार रुकु की तस्बीह पढ़े। )
- यानि सुभान रब्बियाल अज़ीम पढ़े।
- रुकू से सामियाल्लाहु लिमन हमीदा कहता हुआ खड़ा हो।
- और रब्बाना लकाल हम्द पढ़े।
- अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे में जाएं। (और सजदे में 3 बार सजदे की तस्बीह पढें।)
- यानी सुब्हान रब्बियाल आला पढे।
- अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाये।
- उसके बाद अल्लाहु अकबर अहते हुए दूसरे सजदे में जाए।
- अल्लाहु अकबर कहता हुआ सीधा खड़े हो जाए।
2. दूसरी रकअत
- सूरह फातिहा की तिलावत के बाद सूरह मिलाये।
- फिर पहली ही रकात की तरह रुकू और सजदा करे।
- दो रकअत पर क़दा करे।
- इसी तरह 4 रकअत नमाज अदा करे।
- सुन्नत की हर रकात में सुरह फातिहा के बाद सूरह मिलाये।
- 4 रकत मुकम्मल होने के बाद क़दा करे।
- और उसमे अत्तहियत, दुरूद ए इब्राहीम और दुआ ए मसूर पढ़ कर सलाम फेर दे।
4. जोहर की 4 रकात फ़र्ज़ नमाज़ का तारिका
1. पहली रकअत
- नियत करने के बाद सना पढ़े। सना के अल्फ़ाज़ तरह पढ़े।
- सुब्हान कल्लाहुम्मा वबीहामदिका वतबारकसस्मुक वता अला जद्दुक वला ‘इलाह ग़ैरुक
- फ़िर अउज़ु बिल्लाहि मिनश शैतानिर राजिम पढ़े ।
- और उसके बाद बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़े।
- उसके बाद सूरह फातिहा का तिलावत करना है।
- और फिर किसी सूरह को पढ़ना है।
- हां एक आयत ऐसी जो 3 आयतों के बराबर हो।
- फ़िर अल्लाहु अकबर कहता हुआ रुकू में जाए। (और कम से कम 3 बार रुकु की तस्बीह पढ़े। )
- यानि सुभान रब्बियाल अज़ीम पढ़े।
- रुकू से सामियाल्लाहु लिमन हमीदा कहता हुआ खड़ा हो।
- और रब्बाना लकाल हम्द पढ़े।
- अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे में जाएं। (और सजदे में 3 बार सजदे की तस्बीह पढें।)
- यानी सुब्हान रब्बियाल आला पढे।
- अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाये।
- उसके बाद अल्लाहु अकबर अहते हुए दूसरे सजदे में जाए।
- अल्लाहु अकबर कहता हुआ सीधा खड़े हो जाए।
2. दूसरी रकअत
- सूरह फातिहा की तिलावत के बाद सूरह मिलाये।
- फिर पहली ही रकात की तरह रुकू और सजदा करे।
- दो रकअत पर क़दा करे।
- तीसरी और चौथी रकात में सिर्फ सूरह फातिहा पढ़े। सूरह नहीं मिलना है.
- 4 रकत मुकम्मल होने के बाद क़दा करे।
- और उसमे अत्तहियत, दुरूद ए इब्राहीम और दुआ ए मसूर पढ़ कर सलाम फेर दे।
Note: अगर इमाम के पीछे पढ़ रहे हो तो सना पढ़ कर खामोश रहना है। उसके अलावा जो तस्बीहत है उनको पढ़ना है।
5. जोहर की 2 रकअत सुन्नत ए मोअक्कदा का तरिका
1. पहली रकअत
- नियत करने के बाद सना पढ़े। सना के अल्फ़ाज़ तरह पढ़े।
- सुब्हान कल्लाहुम्मा वबीहामदिका वतबारकसस्मुक वता अला जद्दुक वला ‘इलाह ग़ैरुक
- फ़िर अउज़ु बिल्लाहि मिनश शैतानिर राजिम पढ़े ।
- और उसके बाद बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़े।
- उसके बाद सूरह फातिहा का तिलावत करना है।
- और फिर किसी सूरह को पढ़ना है।
- हां एक आयत ऐसी जो 3 आयतों के बराबर हो।
- फ़िर अल्लाहु अकबर कहता हुआ रुकू में जाए। (और कम से कम 3 बार रुकु की तस्बीह पढ़े। )
- यानि सुभान रब्बियाल अज़ीम पढ़े।
- रुकू से सामियाल्लाहु लिमन हमीदा कहता हुआ खड़ा हो।
- और रब्बाना लकाल हम्द पढ़े।
- अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे में जाएं। (और सजदे में 3 बार सजदे की तस्बीह पढें।)
- यानी सुब्हान रब्बियाल आला पढे।
- अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाये।
- उसके बाद अल्लाहु अकबर अहते हुए दूसरे सजदे में जाए।
- अल्लाहु अकबर कहता हुआ सीधा खड़े हो जाए।
2. दूसरी रकअत
- सूरह फातिहा की तिलावत के बाद सूरह मिलाये।
- फिर पहली ही रकात की तरह रुकू और सजदा करे।
- दो रकअत पर क़दा करे।
- और अत्तहियात, दुरूद ए इब्राहीम और दुआ ए मसूर पढ़ कर सलाम फेर दे।
6. जोहर की 2 रकअत नफ़िल का तरिका
- नियत करने के बाद सना पढ़े। सना के अल्फ़ाज़ तरह पढ़े।
- सुब्हान कल्लाहुम्मा वबीहामदिका वतबारकसस्मुक वता अला जद्दुक वला ‘इलाह ग़ैरुक
- फ़िर अउज़ु बिल्लाहि मिनश शैतानिर राजिम पढ़े ।
- और उसके बाद बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़े।
- उसके बाद सूरह फातिहा का तिलावत करना है।
- और फिर किसी सूरह को पढ़ना है।
- हां एक आयत ऐसी जो 3 आयतों के बराबर हो।
- फ़िर अल्लाहु अकबर कहता हुआ रुकू में जाए। (और कम से कम 3 बार रुकु की तस्बीह पढ़े। )
- यानि सुभान रब्बियाल अज़ीम पढ़े।
- रुकू से सामियाल्लाहु लिमन हमीदा कहता हुआ खड़ा हो।
- और रब्बाना लकाल हम्द पढ़े।
- अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे में जाएं। (और सजदे में 3 बार सजदे की तस्बीह पढें।)
- यानी सुब्हान रब्बियाल आला पढे।
- अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाये।
- उसके बाद अल्लाहु अकबर अहते हुए दूसरे सजदे में जाए।
- अल्लाहु अकबर कहता हुआ सीधा खड़े हो जाए।
2. दूसरी रकअत
- सूरह फातिहा की तिलावत के बाद सूरह मिलाये।
- फिर पहली ही रकात की तरह रुकू और सजदा करे।
- दो रकअत पर क़दा करे।
- और अत्तहियात, दुरूद ए इब्राहीम और दुआ ए मसूर पढ़ कर सलाम फेर दे।
इस तरह से ज़ोहर की 12 रकअत नमाज़ मुकम्मल हो जाएगी।
7. जोहर की नमाज़ का समय
जब सूरज ढलना शुरू हो जाता है तो ज़ोहर की नमाज़ का समय शुरू हो जाता है। औरत और मर्द दोनों के लिए एक ही वक्त है। ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त किसी चीज़ का साया दोगुना होने तक रहता है। उदाहरण के लिए जब किसी चीज को खड़ा किया जाए तो उसकी लम्बाई दुगनी दिखने लगे।
जौहर की नमाज में कितनी रकात होती है?
जोहर की नमाज़ में कुल 12 रकअत है।
4 रकात सुन्नत
4 रकात फ़र्ज़
2 रकात सुन्नत
2 रकअत नफ़िल
सुन्नत और नफील नमाज़ को अकेला पढा जाता है और फ़र्ज़ नमाज़ को इमाम के पीछे और अकेले दोनो तरीके से पढ़ सकते है।
जोहर में कितनी रकात नमाज होती है?
जोहर की नमाज़ में कुल 12 रकअत है।
4 रकात सुन्नत
4 रकात फ़र्ज़
2 रकात सुन्नत
2 रकअत नफ़िल
सुन्नत और नफील नमाज़ को अकेला पढा जाता है और फ़र्ज़ नमाज़ को इमाम के पीछे और अकेले दोनो तरीके से पढ़ सकते है।
1 दिन में कितनी नमाज होती है?
हर आकिल व बालिग मुस्लमान पर नमाज़ फर्ज है हम सभी को हर हाल 5 वक्त की नमाज़ अदा करनी चाहिए।
नमाज में रुकू में क्या पढ़ा जाता है?
नमाज़ की हर रकात में घुटनों पर हाथ रख कर झुक कर तीन बार “सुब्ह़ाना रब्बियल अज़ीम“
सलाम फेरने से पहले क्या क्या पढ़ा जाता है?
जिस रकअत में सलाम फेरना हो उस में अत्तहियात, दुरूद ए इब्राहीम और दुआ ए मसूर पढ़ कर सलाम फेर दे।
सजदे में क्या पढ़ना चाहिए?
अपने माथे, नाक, दोनों हाथों की हथेलियों, घुटनों और पैरों की उंगलियों को ज़मीन से छूते हुए “अल्लाहु अकबर” कहते हुए ज़मीन पर सजदा करें। फिर तीन बार सुभाना रब्बे यल आला पढ़ें।
जोहर नमाज़ की नियत कैसे की जाती है?
नियत की मैंने 4 रकअत नमाज़ जौहर की फर्ज वास्ते अल्लाह ताला के पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर।
जोहर की नमाज में कितने फर्ज हैं?
ज़ोहर की नमाज़ में पूरे 12 रकअत नमाज़ होती हैं, जिसमें 4 सुन्नत नमाज़, 4 फ़र्ज़ नमाज़, 2 सुन्नत और 2 नफ़्ल नमाज़ होती है।
Read More: Fajar ki Namaz ka Tarika | फजर की नमाज का तरीका, वक्त, रकात