Ghusal Ka Tarika | गुस्ल का सुन्नत तरीका | Easy Way

अस्सलामु अलैकुम्, उम्मीद है के आप सभी खैरो आफियत से होंगे | आज हम आप को Ghusal Ka Tarika | सुन्नत तरीका, मसाइल और किन पर फर्ज है? बताने वाले हैं उम्मीद है आप इस पोस्ट को पढ़ कर दूसरों तक भी पहुॅचायेंगे।

कुरान ए मजीद में अल्लाह तआला इरशाद फरमाते है कि :-

“ऐ ईमान वालों नशे की हालत में नमाज़ के करीब न जाओ यहाँ तक कि समझने लगो जो कहते हो और नं जनाबत की हालत में जब तक गुस्ल न कर लो मगर सफर की हालत में कि यहाँ पानी न मिले तो गुस्ल की जगह तयम्मुम है”।

हदीस :- सहीह बुखारी और मुस्लिम में, हज़रते आइशा सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत की गई है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआंला अलैहि वसल्लम जब जनाबत का गुस्ल फरमाते तो शुरूआत ऐसे करते कि पहले हाथ धोते, फिर नमाज़ का सा वुजू करते फिर उंगलियाँ पानी में डाल कर उन से बालों की जड़ें तर फरमाते फिर सर पर तीन लप पानी डालते फिर तमाम जिल्द पर पानी बहाते ।


Table of Contents

Ghusal ke Faraiz | गुस्ल के तीन फर्ज़ हैं

1. कुल्ली करना

2. नाक में पानी डालना

3. तमाम बदन पर पानी बहाना

गुस्ल के तीन जुज़ हैं अगर उनमें से एक में भीं कमी हुई गुस्ल न होगा चाहें यूँ कहो कि गुस्ल के तीन फर्ज़ हैं।


Ghusal Ka Tarika | गुस्ल का सही तरीका

1. कुल्ली करना :-

मुँह के हर पुर्जे गोशे होंट से हल्क की जड़ तक हर जगह पानी बह जाये अक्सर लोग यह जानते हैं कि थोड़ा सा पानी मुँह में लेकर उगल देने को कुल्ली कहते हैं अगर्च जुबान की जड़ और हल्क के किनारे तक न पहुँचे। ऐसे गुस्ल न होगा न इस तरह नहाने के बाद नमाज़ जाइज़ बल्कि फर्ज़ है कि दाढ़ों के पीछे गालों की तह में दाँतों की जड़ और खिड़कियों में जुबान की हर करवट में हल्क के किनारे तक पानी बहे।

2. नाक में पानी डालना :-

यानी दोनों नथनों में जहाँ तक नर्म जगह है धुलना, कि पानी को सूँघ कर ऊपर चढ़ाये बाल बराबर भी धुलने से न रह जाये, नहीं तो गुस्ल नहीं होगा अगर नाक के अन्दर रेंठ सूख गई है तो उसका छुड़ाना फर्ज़ है।

3. तमाम बदन पर पानी बहाना :-

यानी सर के बालों से पाँवों के तलवों तक जिस्म के हर पुर्ज हर रोंगटे पर पानी बह जाना फ़र्ज़ है। अकसर लोग बल्कि कुछ पढ़े लिखे लोग यह करते हैं और। समझते हैं कि गुस्ल हो गया हालाँकि कुछ उज़्व ऐसे हैं कि जब तक उनकी खास तौर पर इहतियात न कीजिए तो नहीं धुलेंगे और गुस्ल न होगा लिहाज़ा तफसील से बयान किया जाता है।


Ghusal ka Sunnat Tarika | गुस्ल की सुन्नतें

1. गुस्ल की नियत करना।

2. पहले दोनों हाथों को गट्टों तक तीन-तीन बार धोना।

3. चाहे नजासत हो या न हो पेशाब, पाखाने की जगह का धोना ।

4. बदन पर जहाँ कहीं नजासत हो उसको दूर करना।

5. फिर नमाज़ की तरह वुजू करना मगर पाँव नहीं धोना चाहिये हाँ अगर चौकी या पत्थर या तख्ते पर नहाये तो पाँव धो ले।

6. फिर पूरे बदन पर तेल की तरह पानी चुपड़ ले खास कर जाड़े के मौसम में।

7. फिर तीन बार दाहिने मोंढे पर पानी बहायें ।

8. फिर बायें मोंढे पर तीन बार।

9. फिर सर और तमाम बदन पर तीन बार पानी बहाये।

10. फिर नहाने की जगह से अलग हट कर अगर पाँव नहीं धोये थे तो धो लें।

11. नहाने में किब्ला, रुख न हो।

12. तमाम बदन पर हाथ फेरे।

13. तमाम बदन को मले।

14. ऐसी जगह नहाये कि उसे कोई न देखे और अगर यह न हो सके तो नाफ से घुटने तक का छिपाना ज़रूरी है अगर इतना भी न हो सके तो. तयम्मुम करे मगर ऐसा कम होता है।

15. गुस्ल में किसी तरह की बात न करे ।

16. और न कोई दुआ पढ़े। नहाने के बाद तौलिया या रूमाल से बदन पोंछ डालें तो कोई हर्ज नहीं।

मसला :- गुस्लखाने की छत न हो या नंगे बदन नहाये बशर्ते कि इहतियात की जगह हो तो कोई हर्ज नहीं, हाँ औरतों को बहुत ज़्यादा इहतियात की ज़रूरत है।

17. औरतों को बैठ कर नहाना बेहतर है।

18. नहाने के बाद फौरन कपड़े पहन लें जितनी चीजें वुजू में सुन्नत और मुस्तहब हैं उतनी ही नहाने में भी हैं मगर सत्र खुला हो तो किब्ले को मुँह करना नहीं चाहिये और तहबन्द बाँधे हो तो हर्ज नहीं।


Ending

अब तक तो आप आसानी से गुस्ल करना सिख गए होंगे हमने यहां पर अच्छे से डिटेल्स में बताने की कोशिश की जिसे आप आसानी से पढ़ कर समझ सकते है और समझ ने के बाद अमल में भी लाएं।

अगर अभी भी आपके मन में कोई सवाल हो तो या फिर कहीं समझ न आ रही हो तो आप हमसे कॉमेंट करके ज़रूर पूछें हम जवाब जरूर इनायत करेंगे साथ ही जिन्हें अभी तक मालुम न हो उन्हें गुस्ल का तरीका जरूर बताएं।

गुस्ल का तरीका क्या है?

गुस्ल के तीन जुज़ हैं अगर उनमें से एक में भीं कमी हुई गुस्ल न होगा चाहें यूँ कहो कि गुस्ल के तीन फर्ज़ हैं। 1. कुल्ली करना 2. नाक में पानी डालना 3. तमाम बदन पर पानी बहाना

गुस्ल में कितने फर्ज़ हैं?

गुस्ल के तीन जुज़ हैं अगर उनमें से एक में भीं कमी हुई गुस्ल न होगा चाहें यूँ कहो कि गुस्ल के तीन फर्ज़ हैं। 1. कुल्ली करना 2. नाक में पानी डालना 3. तमाम बदन पर पानी बहाना

गुस्ल फ़र्ज़ कब होता है?

ग़ुस्ल फ़र्ज़ होता है जनाबत (नापाक होने की हालत), हैज़, और निफ़ास के बाद।

क्या गुस्ल के बाद कपड़ा बदलना ज़रूरी है?

अगर कपरे पाक हैं तो गुस्ल के बाद कपरे बदलना जरूरी नहीं है।

क्या गुस्ल के लिए शैंपू या साबुन का इस्तमाल जरूरी है?

शैंपू या साबुन का इस्तेमाल जरूरी नहीं है, असल मकसद बदन को पाक करना है

गुस्ल के लिए वक़्त का कोई पाबंद नहीं?

गुस्ल के लिए कोई खास वक़्त नहीं होता, जब नापाक हो, तो जल्दी से ग़ुसल करना चाहिए।

गुस्ल के दौरन वज़ू टूट जाए तो क्या करना चाहिए?

अगर वुज़ू टूट जाए तो गुस्ल के बाद सिर्फ वुज़ू करना ज़रूरी है।

ग़ुसल की नियत कैसी है?

ग़ुसल की नियत दिल में करना ज़रूरी है कि हम पाक होने के लिए ग़ुसल कर रहे हैं, ज़बान से कहना ज़रूरी नहीं।

गुसल करने की नियत क्या है?

ग़ुसल की नियत दिल में करना ज़रूरी है कि मै पाक होने के लिए ग़ुसल कर रहे हैं, ज़बान से कहना ज़रूरी नहीं।

हदीस के मुताबिक़, हज़रत मुहम्मद (PBUH) ने ग़ुस्ल कैसे फरमाया?

सहीह बुखारी और मुस्लिम में, हज़रते आइशा सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत की गई है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआंला अलैहि वसल्लम जब जनाबत का गुस्ल फरमाते तो शुरूआत ऐसे करते कि पहले हाथ धोते, फिर नमाज़ का सा वुजू करते फिर उंगलियाँ पानी में डाल कर उन से बालों की जड़ें तर फरमाते फिर सर पर तीन लप पानी डालते फिर तमाम जिल्द पर पानी बहाते ।

गुस्ल में नाक में पानी डालने का क्या तरीका है?

गुस्ल में दोनों नथों में पानी डालना फ़र्ज़ है, और पानी को इतना अंदर ले जाना चाहिए के नाक की नर्म जगह तक पोहचे, वर्ना गुस्ल मुकम्मल नहीं होगा।

क्या गुस्ल के दौरान बात करना जायज़ है?

गुस्ल के दौरन बात करना मुस्तहब नहीं है, और बेहतरीन तरीक़ा ये है के खामोशी से गुस्ल किया जाए।

सुन्नत के मुताबिक गुस्ल कैसे किया जाता है?

सुन्नत के मुताबिक गुस्ल में पहले नियत की जाए, हाथों को तीन मरतबा धो कर वुदु किया जाए, फिर बदन पर हर जगह पानी बहाया जाए, दाहिने और बायें कंधों पर पानी डाल कर पूरा बदन साफ ​​किया जाए।

क्या गुस्ल में हर जगह पानी पोहचाना फ़र्ज़ है?

जी हां, गुस्ल में सर के बालों से लेकर पांव तक तमाम बदन पर पानी पहुंचना फ़र्ज़ है। अगर किसी भी हिस्सा तक पानी नहीं पहुंचा, तो गुस्ल मुकम्मल नहीं होगा।

क्या गुस्ल के वक़्त कपड़ो का ढकना ज़रूरी है?

गुस्ल के वक़्त ऐसे जगह पर होना चाहिए जहाँ किसी को देखने का इम्कान ना हो। और अगर ऐसा मुमकिन ना हो, तो नाफ से घुटन तक का सत्र ढकना फ़र्ज़ है।

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