अस्सलामु अलैकुम्, उम्मीद है के आप सभी खैरो आफियत से होंगे। आज हम आप को Fatiha ka Tarika | फातिहा का आसान तरीका बताने वाले हैं उम्मीद है आप इस पोस्ट को पढ़ कर दूसरों तक भी पहुॅचायेंगे।
फातिहा देने के लिए सबसे पहले वजू कर लें। वज़ू करने के बाद काबा शरीफ के तरफ मुंह करके बैठ जाएँ जिस चीज़ पर फातिहा देना हो उसको सामने रख ले। सामने रखना सिर्फ मुबाह और जाइज़ है।
अगर वह चीज़ ढकी है तो उसे खोल ले और लोबान अगरबत्ती सुलगाए (अगर मौजूद हो तो)। और फातिहा की चीजों से दूर रखे और मुस्तहब तरीका पर फातिहा (Fatiha) दे।
Fatiha ka Tarika | फातिहा का आसान तरीका
- Surah Kafiroon (1 बार पढ़े)
- Surah Ikhlas (3 बार पढ़े)
- Surah Falaq (1 बार पढ़े)
- Surah Naas (1 बार पढ़े )
- Surah Fatiha (1 बार पढ़े)
- Surah Baqarah (1 बार पढ़े)
- Aayat-e-Khamsah (1 बार पढ़े)
Fatiha ka Tarika | Easy way of Fatiha
सबसे पहले आपको आउजू बिल्लाही मिनश शयी तानिर रजीम बिस्मिल्लाही रहमानिर रहीम, इसको कहकर फिर इस तरह से शुरू करना है।
1. सबसे पहले सुरह-काफ़ीरून
- कुल या अय्युहल काफिरून
- ला अ’आबुदु मा तअ’बुदून
- वला अन्तुम आ बिदूना मा अ’अबुद
- वला अना आबिदुम मा अबत तुम
- वला अन्तुम आबिदूना मा अ’आबुदु
- लकुम दीनुकुम वलिय दीन
2. इसके बाद सुरह-इखलास को 3 बार पढ़ना है
- कुल हुवल्लाहु अहद
- अल्लाहुस्समद
- लम यलिद वलम यूलद
- वलम यकूल लहू कुफुवन अहद
3. फिर उसके बाद सुरह-फ़लक की सूरत को पढ़ना है
- कुल आ ऊजू बिरब्बिल फलक
- मिन शर्री मा खलक़
- वा मिन शर्री गासिकिन इजा वकब
- वा मिन शर्रीन नाफ्फासाती फिल उकद
- वा मिन शर्री हसिदिन इज़ा हसद
4. फिर उसके बाद सुरह-नास की सूरत को पढ़ना है
- कुल आऊजू बीरब्बी नास
- मालिकीन नास
- इलाहीन नास
- मीन शर्रील वसवासिल ख़न्नास
- अल्लजी यूवस वीसू फी सुदुरीन नास
- मिनल जिन्नति वन्नास
5. फिर उसके बाद सूरह-फातिहा (यानी अल्हम्दु शरीफ की सूरत को पढे)
- अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन
- अर रहमा निर रहीम
- मालिकि यौमिद्दीन
- इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन
- इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम
- सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम
- गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दाालीन (अमीन)
6. फिर उसके बाद सूरह बक़रा की सूरत को पढ़ना है
- अलीफ लाम मीम ज़ालिकाल किताबु ला रै बफ़ीह
- हुदल लिल मुत्तकीन
- अल्लज़ीना यूमिनूना बिल गैबि व युकिमुनस्सलाता व् मिम्मा रजकनाहुम् युनफिकुन
- वल्ल्जीना यूमिनू ना बिमा उन्ज़िला इलैका वमा उन्ज़िला मिन क़ब्लिक व बिल आख़िरति हुम् युकिनून
- उलाइका अला हुदम मिर रब्बि हिम व उलाइका हुमुल मुफ़लिहून।
7. फिर उसके बाद आयत-ए-ख़मसा को पढ़ना है
- व इलाहुकुम इलाहुं वाहिद, लाइलाहा इल्ला हुवर्रहमानुर्रहीम
- इन्ना रहमतल्लाहि क़रीबुम मिनल मुहसिनीन
- वमा अरसल नाका इल्ला रहमतल लिल आलमीन
- मा काना मुहम्मदुन अबा अहादिम मिंर रिजालिकुम वला किर रसूल्लाहि वखा तमन नबीय्यीन व कानल्लाहु बिकुल्लि शैइन अलीमा
- इन्नल्लाहा व मलाई क त हू यूसल्लूना अलन्न् बिय्यि या अय्यु हल लज़ीना आ मनू सल्लू अलैहि व सल्लिमू तस्लीमा।
- सुबहान रब्बिक रबिल इज्ज़ती अम्मा यासिफून व सलामुन अलल मुरसलीन वल हम्दो इल्लाही रब्बिल आलेमिन
Fatiha ki Dua – बख़्शने का तरीका
(बख्साने का तरीका) या अल्लाह मैंने जो तेरे कलामे मजीद की तिलावत की है इसमें जो भी गलती है इसे माफ फरमा और इसको अपनी बारगाह मे कुबूल फरमा और इसका सवाब हज़ूर अलैहि सलाम की बारगाह मे नजर करता हु कुबूल फरमा
और इसका सवाब तमाम सहाबा ऐ किराम कि बारगाह मे नजर करता हु कुबूल फरमा और इसका सवाब तमाम अंबिया ए किराम और तमाम आलिया ए किराम कि बारगाह मैं नजर करता हु कुबूल फरमा खास तोर पर मरहूम ( फला बिन फला) को इसका सवाब अता फरमा इनसे सगाइर कबाइर गुनाह को माफ फरमा जन्नत उल फिरदोस में आला से आला मक़ाम अता फरमा और इनकी बे हिसाब बख्शीश फरमा आज़ाब ए क़बर से महफूज़ फ़रमा आज़ाब ए जहंनम से महफूज़ फरमा रहम फरमा करम फरमा फज़ल फरमा
Note:
कुरान ए मजिद को तजविद के साथ पढ़ना वाजिब है यानी कुरान को आहिस्ता और ढहर ढहर कर और सही मखारीज़ के साथ पढ़ना वाजिब है। हमें चाहिए के सबसे पहले हम कुरान ए मजीद को तजवीद के साथ पढ़ना सीखे । और कुरान ए मजीद को सिर्फ अरबी में ही पढ़े । क्युकिं अगर हम कुरान ए मजीद को किसी और लेंग्वेज में पढ़ेंगे तो मखारीज़ में गलती होगी अगर मखारीज़ मे गलती होगी तो तर्जमा गलत होगा । इस तरह पढ़ने वाला गुनाहगार होगा।
हमने आपको हिंदी इंग्लिश में इसलिए प्रोवाइड किया है ताकि आप आसानी से पढ़ सकते है। आप हिंदी इंग्लिश से आपको अरबिक पढ़ने में आसानी होगी। कृपया क़ुरान को अरबिक में ही पढ़े।
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