Fajar ki Namaz ka Tarika | फजर की नमाज का तरीका, वक्त, रकात

अस्सलामु अलैकुम्, उम्मीद है के आप सभी खैरो आफियत से होंगे |आज हम आप को Fajar ki Namaz ka Tarika | फजर की नमाज का तरीका, वक्त और रकात बताने वाले हैं उम्मीद है आप इस पोस्ट को पढ़ कर दूसरों तक भी पहुॅचायेंगे।

हर आकिल व बालिग मुस्लमान पर नमाज़ फर्ज है हम सभी को हर हाल 5 वक्त की नमाज़ अदा करनी चाहिए।


1. Fajar ki Namaz ki Rakat | फजर की नमाज़ की रकअत

फजर की नमाज़ में कुल 4 रकअत है।

  • पहले 2 रकात नमाज सुन्नत
  • फिर 2 रकात फर्ज।

सुन्नत नमाज़ को अकेला पढा जाता है और फ़र्ज़ नमाज़ को इमाम के पीछे और अकेले दोनो तरीके से पढ़ सकते है।


2. Fajar ki namaz ki niyat | फजर की नमाज़ की नियत

किसी भी नमाज़ को अदा करने के लिए हमें उस नमाज की नियत करनी होती है इसके बाद ही नमाज़ मुकम्मल होगी।

Note: इमाम के पीछे जमात में नमाज़ अदा न करते वक्त- वास्ते अल्लाह तआला के बाद पीछे इस इमाम के न कहें

जैसे: नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ फजर की फर्ज वास्ते अल्लाह ताला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर।

नोट: एक बात और याद रखें नियत दिल के इरादे को कहते हैं। ज़बान से नियत के अल्फ़ाज़ कहना ज़रूरी नहीं है। लेकिन ज़बान से नियत कर लेना बेहतर है।

2.1. फजर की 2 रकात सुन्नत नमाज़ की नियत

नियत की मैने 2 रकअत नमाज सुन्नत फजर की अल्लाह ताला के लिए सुन्नत रसूलुल्लाह की मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

2.2. फजर की 2 रकात फर्ज नमाज़ की नियत (इमाम के पीछे)

नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ फजर की फर्ज वास्ते अल्लाह ताला के पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर।


3. Fajar ki Namaz ka Tarika | फजर की नमाज का तरीका

1. Pahli Rakat | पहली रकअत

  • कानों तक हाथ ले जाए और अल्लाहु अकबर कहते हुए नाफ के निचे बांध ले
  • नियत करने के बाद सना पढ़े। सना के अल्फ़ाज़ तरह पढ़े।
  • सुब्हान कल्लाहुम्मा वबीहामदिका वतबारकसस्मुक वता अला जद्दुक वला ‘इलाह ग़ैरुक
  • फ़िर अउज़ु बिल्लाहि मिनश शैतानिर राजिम पढ़े ।
  • और उसके बाद बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़े।
  • उसके बाद सूरह फातिहा का तिलावत करना है।
  • और फिर किसी सूरह को पढ़ना है।
  • हां एक आयत ऐसी जो 3 आयतों के बराबर हो।

Namaz me Ruku aur Sajda | नमाज़ में रुकू और सजदा

  • अल्लाहु अकबर कहता हुआ रुकू में जाए। (और कम से कम 3 बार रुकु की तस्बीह पढ़े। )
  • यानि सुभान रब्बियाल अज़ीम पढ़े।
  • रुकू से सामियाल्लाहु लिमन हमीदा कहता हुआ खड़ा हो।
  • और रब्बाना लकाल हम्द पढ़े।
  • अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे में जाएं। (और सजदे में 3 बार सजदे की तस्बीह पढें।)
  • यानी सुब्हान रब्बियाल आला पढे।
  • अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाये।
  • उसके बाद अल्लाहु अकबर अहते हुए दूसरे सजदे में जाए।
  • अल्लाहु अकबर कहता हुआ सीधा खड़े हो जाए।

2. Doosri rakat | दूसरी रकात

  • दूसरी रकात में बिस्मिल्लाह के बाद सूरह फातिहा पढ़े।
  • और किसी सूरह की तिलावत करें।
  • फिर रुकु और सजदा पहली रकात की तरह करें।
  • 2 रकात पर क़ैदा में अत्तहियत, दुरूद ए इब्राहीम और दुआए मसूर पढ़ कर सलाम फेर दे।

Tashahhud / Atahiiyat | तशहुद / अत्तहिय्यात

at-taḥīyātu li-llāhi, wa-ṣ-ṣalawātu wa-ṭ-ṭayyibātu. as-salāmu ʿalayka ayyuhā n-nabīyu wa-raḥmatu -llāhi wa-barakātuhu. as-salāmu ʿalaynā wa-ʿalā ʿibādi -llāhi ṣ-ṣāliḥīna. ʾashhadu an lā ʾilāha ʾillā -llāhu wa-ʾashhadu ʾanna muḥammadan ʿabduhū wa-rasūluhū.

Durood e Ibrahim | दुरूद ए इब्राहिम

  • अल्लाहुम्मा सल्ली अल्ला मुहम्मदीन व अल्ला आली मुहम्मदीन कमा सल्ल्ल्यता अल्ला इब्राहीमा व अल्ला अल्ली इब्राहीमा इन्नका हमिदुन माजिद,
  • अल्लाहुम्मा बारीक़ अल्ला मुहम्मदीन व अल्ला आली मुहम्मदीन कमा बर्क्ता अल्ला इब्राहीमा व अल्ला आली इब्राहीमा इन्नका हमिदुन मजिद |

दुआये मसूरा इस तरह पढ़े

अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतु नफ़सी ज़ुल्मन कसीरोन वाला यागफ़्रीज़-ज़ुनूबा – इल्ला अंता फागफिरली मगफिरतम मिन इन्दिका – वारहम्नी इन्नक अंतल गफूरूर रहीम।

या अगर कोई दूसरी दुआएं याद हो तो वो भी पढ़ सकते हैं।

Fajar ki namaz ka time | फजर की नमाज का समय

  • फजर का वक्त तुलू ए फजर से शुरू होता है।
  • और सुबह ए सादिक यानि सूरज निकलने तक रहता है।

Fajar ki namaz ki fazilat | फजर की नमाज की फजीलत

हज़रत अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: तुम रात और दिन को फरिश्ते बारी आते हैं, और वो फजर और असर की नमाज में जमा होते हैं।

फिर वो फरिश्ते आसमानों में चढ़ते हैं जिन्हों ने तुम रात हज़ारी होती है, तो उनसे उनका रब पूछता है (हलांकी वो खूब जानता है) कि मेरे बंदों को तुमने किस हाल में छोड़ा है? वो कहते हैं कि हम ने उनको हाल में छोड़ा है कि वो नमाज पढ़ रहे थे, और हम उनके पास गए तो वो नमाज पढ़ रहे थे।
(बुखारी शरीफ, जिल्द 1, पेज 79)


फजर की नमाज कितने बजे से कितने बजे तक पढ़ सकते हैं?

फज्र के उदय होने से लेकर उस वक़्त तक है जब तक कि सूरज उग न जाये, जब सूरज उग जाये तो नमाज़ से रूक जाओ क्योंकि यह शैतान की दो सींगों के बीच उगता है।”

फजर की नमाज की रकात कितनी होती है?

फजर की नमाज़ में कुल 4 रकअत है।
पहले 2 रकात नमाज सुन्नत
फिर 2 रकात फर्ज।
सुन्नत नमाज़ को अकेला पढा जाता है और फ़र्ज़ नमाज़ को इमाम के पीछे और अकेले दोनो तरीके से पढ़ सकते है।

फज्र की नमाज़ का वक्त कब तक है?

फज्र के उदय होने से लेकर उस वक़्त तक है जब तक कि सूरज उग न जाये, जब सूरज उग जाये तो नमाज़ से रूक जाओ क्योंकि यह शैतान की दो सींगों के बीच उगता है।”

फजर की नमाज कैसे होती है?

1. नमाज़ के लिए क़िबला रुख होकर नमाज़ के इरादे के साथ अल्लाहु अकबर कह कर (तकबीर ) हाथ बांध लीजिए।
2. हाथ बाँधने के बाद सना पढ़िए। …
3. इसके बाद त’अव्वुज पढ़े। …
4. इसके बाद सुरह फातिहा पढ़े।
5. सुरह फ़ातिहा के बाद कोई एक सूरा और पढ़े।
6. इसके बाद अल्लाहु अकबर (तकबीर) कह कर रुकू में जायें।
7. रुकू में जाने के बाद अल्लाह की तस्बीह बयान करे।
8. इसके बाद ‘समीअल्लाहु लिमन हमीदा’ कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये।
9. खड़े होने के बाद ‘रब्बना व लकल हम्द , हम्दन कसीरन मुबारकन फिही’ जरुर कहें।
10.इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाए।
11. सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह बयान करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की 12. तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है “सुबहान रब्बी अल आला”
13. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठकर बैठे।
14. फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाए।
15. सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। या फिर वही कहें जो आम तौर पर सभी कहते हें, ‘सुबहान रब्बी अल आला’
16. तशहुद में बैठ कर सबसे पहले अत्तहिय्यात पढ़िए।
17. इसके बाद दरुदे इब्राहीम पढ़े।
18. इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़े। मतलब कोई भी ऐसी दुआ जो कुर’आनी सुरों से हट कर हो। वो दुआ कुर’आन में से ना हो। साफ साफ अल्फाज़ में आपको अपने लिए जो चाहिए वो मांग लीजिये। दुआ के अल्फाज़ मगर अरबी ही होने चाहिए।

नमाज़ में क्या क्या पढ़ा जाता है?

हर आकिल व बालिग मुस्लमान पर नमाज़ फर्ज है हम सभी को हर हाल 5 वक्त की नमाज़ अदा करनी चाहिए।

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