Dua E Nisf Shaban | दुआ ए निस्फ शाबान और 6 रकात नफ़िल नमाज

आज के इस ख़ास पैग़ाम में हम Dua E Nisf Shaban | दुआ ए निस्फ शाबान और 6 रकात नफ़िल नमाज की अहमियत को समझेंगे, जो रहमत और बरकत से भरी हुई है। हम आपको यह दुआ हिंदी, इंग्लिश और अरबी ज़बान में आसान लफ्ज़ों में पेश कर रहे हैं, ताकि हर कोई इसे आसानी से पढ़ सके।

मगरिब के बाद 6 रकात नफ्ल नमाज़ अदा की जाती है। पहली दो रकात इस नीयत से पढ़ी जाती हैं कि अल्लाह तआला हमारी उम्र में बरकत अता फरमाए। दूसरी दो रकात इस इरादे से होती हैं कि हमारी रिज्क में बरकत और इज़ाफा हो। तीसरी दो रकात इस नीयत से अदा की जाती हैं कि अल्लाह तआला हमें लोगों की हाजतों से महफूज़ रखे और हमें अपने आगे झुकने वाला बनाए।

साल में एक बार माह-ए-शाबान अपनी अनगिनत रहमतों और बरकतों के साथ आता है। यह महीना हम सभी के लिए शबे बरात की नमाज़, दुआ, रोज़ा, और अन्य इबादतों के रूप में अनमोल तोहफे का समान है, जिससे अदा करके हम बेपनाह बरकतें हासिल कर सकते हैं।


Table of Contents

Dua E Nisf Shaban in Hindi | दुआ ए निस्फ शाबान

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम
अल्लाहुम्मा या जल मन्नि व ला युमन्नु अलैहि
या जल जलालि वल इकराम
या जत तवली वल इनआम
ला इल्लाहा इल्ला अंता जहरूल्लाजिना
व जारूल मुस्तजिरीना
व अमानुल खाइफिना
अल्लाहुम्मा इन कुन्ता कतब तनी इन्दका फी उम्मिल किताबि शकीय्यन अव महरूमन अव मतरूदन अव मुकत्तरन अलय्या फिर्रिज्कि , फम्हु अल्लाहुम्मा बि फदलिका शकावती व हिरमानी व तर्दी वक तितारा रिज्की, व असबितनी इन्दका फि उम्मिल किताबि सईदम मरजूकम मुवफ्फकल लिल खैराति
फ इन्नका कुल्ता व कौलुकल हक्कु फी किताबिकल मुनज्जलि अला लिसानि नबिय्यिकल मुरसल‌ , यम्हुल्लाहु मा यशाउ व युस्बितु व इन्दहू उम्मुल किताबि इल्लाहि बित्तजल्लि यिल अअजम फी लैलतिन्निस्फे मिन शहरि शअबानल मुकर्रम
अल्लती युफ रकू फीहा कुल्लु अमरिन हकीमिंव व युबरमु, अन तकशिफा अन्ना मिनल बलाइ वल बलवाइ मा नअलमु वमा ला नअलम, व अन्ता बिही अअलम इन्नका अन्तल अअज्जुल अकरम व सल्लल्लाहो तआला अला सय्यिदिना मुहम्मदिंव व अला आलिही व अस्हाबिही वसल्लम, वल हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन

Dua E Nisf Shaban in Englsih | दुआ ए निस्फ शाबान

Allahumma Ya Zal Manni Walaa Yumannu Alaihi
Ya Zal Zalaalee Wal Eikraam
Ya Zat-tawlee Wal Inaaam
La illaha illa Anta Zahrullajina
Wa Zaarul MustZireena
Wa Amaanul Khaaeefina
Allahumma inni Kunta Qatab Tani indka Fee Umeel Kitaabee Shakiyyan Aw Mahruman Aw Matrudan Aw Muktaran Alayya Firrijkee, Famhoo Allahumma Bi Fadlikaa Shakaawati Wa Heermaani Wa Tardii Wak Titaara Rijki Wa Asbitni indka Fee Umeel Kitaabee Saeidam Marjukam Muwaffakal Lil Khairaati
Fa innakaa Kulta Wa Kaulukal Haqqu Fee Kitaabeekal Munzzali Alaa Lisaani Nabiyyeekal Mursal, Yamhullahu Ma Yashaau Wa Yusibatu Wa Indahu Ummul Kitaabee, Elahi Bitjalli Yeel A'azam Fee Lailtinnisfe Min Shahree Sha' Abaanal Mukarram.
Allati Yuf Raku Feeha Qullu Amrin Haqeeminw Wa Yubramu, An Takshifaa Anna Minnal Balaai Wal Balwaai Maa Na'almoo Wamaa La Na'alam Wa Anta Beehi A'alam, innaka Antal A'azzul Akram Wa Sallallaaho T'Aala Ala Sayyidina Muhammadeenw Wa Ala Aalihi Wa Ashabeehi Wasallam Wal Hamdu Lillahi Rabbil Aalmin.

Dua E Nisf Shaban in Arabic| दुआ ए निस्फ शाबान

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ
اللَّهُمَّ يَا ذَا الْمَنِّ وَلَا يُمَنُّ عَلَيْهِ ، يَا ذَا الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ يَا ذَا الطَّوْلِ
وَالْإِنْعَامِ ، لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ ظَهْرُ اللَّاجِينَ، وَجَارُ الْمُسْتَجِيْرِينَ
وَآمَانُ الخَائِفِينَ اللَّهُمَّ إِنْ كُنْتَ كَتَبْتَنِي عِنْدَكَ فِي أُمِّ الْكِتَبِ
شَقِيًّا أَوْ مَحْرُوْمًا أَوْ مَطْرُودًا أَوْ مُقَتَرًا عَلَى فِي الرِّزْقِ فَامْحُ اللَّهُمَّ
بفَضْلِكَ شَقَاوَتِي وَحِرْمَانِي وَطَرْدِي وَاقْتِتَارَ رِزْقِ، وَأَثْبِتُنِي عِنْدَكَ
فِي أُمِّ الْكِتُبِ سَعِيدًا مَرْزُوقًا مُوَفَقًا لِلْخَيْرَاتِ، فَإِنَّكَ قُلْتَ وَقَوْلُكَ
الْحَقُّ فِي كِتَابِكَ الْمُنَزَّلِ ، عَلَى لِسَانِ نَبِيِّكَ الْمُرْسَلِ، يَمْحُوا اللَّهُ مَا
يَشَاءُ وَيُثْبِتُ وَ عِنْدَهُ أُمُّ الْكِتَبِ الْهِي بِالتَّجَلِي الْأَعْظَمِ الَّتِي
يُفْرَقُ فِيْهَا كُلُّ أَمْرٍ حَكِيمٍ وَيُبْرَمُ ، أَنْ تَكْشِفَ عَنَّا مِنَ الْبَلَائِ
وَالْبَلْوَائِ مَا نَعْلَمُ وَمَا لَا تَعْلَمُ ، وَأَنْتَ بِهِ أَعْلَمُ ، إِنَّكَ أَنْتَ الْآعَزُّ
الْأَكْرَمُ ، وَصَلَّى اللَّهُ تَعَالَى عَلَى سَيِّدِنَا مُحَمَّدٍ وَ عَلَى آلِهِ وَأَصْحَابِهِ
وَسَلَّمَ ، وَالْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ

Dua E Nisf Shaban Tarjuma In Hindi

  • अल्लाह के नाम से शुरू जो बहुत मेहरबान रहमत वाला, ऐ अल्लाह ऐ एहसान करने वाले कि जिस पर एहसान नहीं किया जाता ऐ बड़ी शानो शौकत वाले।
  • ऐ फज्लो इनआम वाले तेरे सिवा कोई मा’बुद नहीं तू परेशान हालो का मददगार पनाह मांगने वालो को पनाह और खौफजदो को आमान देने वाला है।
  • ऐ अल्लाह अगर तु अपने यहां उम्मुल किताब में मुझे शकी बद बख्त महरूम धुत्कारा हुआ और रिज्क में तंगी दिया हुआ लिख चुका हो तो ऐ अल्लाह अपने फज्ल से मेरी बद बख्ती‌ महरूमी जिल्लत और रिज्क की तंगी को मिटा दे।
  • और अपने पास उम्मुल किताब में मुझे खुश बख्त रिज्क दिया हुआ और भलाइयों की तौफिक दिया हुआ सब्त तहरीर फरमा दे।
  • कि तुने ही मेरी नाजिल की हुई किताब में तेरे ही भेजे हुए नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की जबान पर फरमाया और तेरा फरमाना हक है कि अल्लाह जो चाहे मिटाता है और साबित करता है और असल लिखा हुआ उसी के पास है।
  • खुदाया अल्लाह तजल्लिये आज़म के वसीले से जो निस्फे शाबानुल मुकर्रम की रात में है कि जिस में बांट दिया जाता है जो हिकमत वाला काम और अटल कर दिया जाता है।
  • या अल्लाह मुसिबतो और रंजिशो को हम से दुर फरमा कि जिन्हें हम जानते या नहीं भी जानते जब की तु इन्हें सब से ज्यादा जानने वाला है।
  • बेशक तू सब से बढ़ कर अजीज और इज्जत वाला है अल्लाह हमारे सरदार मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर और आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के आलो अस्हाब पर दुरूदो सलाम भेजे सब खुबियां सब जहानो के पालने वाले अल्लाह के लिए है।

Shab e Barat ki Namaz | मगरिब के बाद 6 रकात नमाज

शब-ए-बारात में 6 रकात नमाज 2-2 रकात करके पढ़ें:

  • पहली 2 रकात लंबी उम्र के लिए
  • अगली 2 रकात मुसीबतों से निजात के लिए
  • आखिरी 2 रकात हुसूल ए दौलत (दौलत की प्राप्ति) के लिए

हर दो रकात के बाद सूरह यासीन 1 बार या सूरह इखलास 21 बार पढ़ें, और फिर दुआएं शबुनल मोअज़्ज़म पढ़ें।


1.1 Shab e Barat ki Namaz ki Niyat | मगरिब के बाद की नफिल की नमाज नियत

  1. लंबी उम्र के लिए | मगरिब की पहली 2 रकात की नियत
    नियत की मैने 2 रकात नमाज शब ए बरात की नफ्ल उम्र दराज व खैरो बरकत के लिए वास्ते अल्लाह तआला के मूंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।
  2. मुसीबत दूर करने के लिए | मगरिब की दूसरी 2 रकात की नियत
    नियत की मैने 2 रकात नमाज शब ए बरात की नफ्ल हर तरह की बला से हिफाजत के लिए वास्ते अल्लाह तआला के मूंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।
  3. हुसूल ए दौलत के लिए | मगरिब की तिसरी2 रकात की नियत
    नियत की मैने 2 रकात नमाज शब ए बरात की नफ्ल गैरों की मोहताजी से दूरी के लिए वास्ते अल्लाह तआला के मूंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

इस नियत से आप शब ए बारात की रात मगरिब की नमाज के बाद 2 – 2 रकात की नियत से 6 रकात नमाज पढ़ेंगे ईशा के बाद इसे नहीं पढ़ सकते।


Ending

आपने इस पैग़ाम में रहमत और फज़ीलत से भरपूर दुआए निस्फ शाबान को पढ़ा, जिसे हमने खासतौर पर तीन ज़बानों (हिंदी, इंग्लिश, अरबी) में पेश किया है। मकसद ये है कि आप अपनी पसंदीदा ज़बान में इसे आसानी से समझ सकें और हर लफ्ज़ से जुड़ सकें।

अगर दुआए निस्फ शाबान को लेकर आपके दिल में कोई सवाल या शंका है, तो आप बेझिझक कॉमेंट करके पूछ सकते हैं। हमारा मकसद हमेशा से यही रहा है कि हर बात को सादगी और वाज़ेह तरीके से आपके सामने रखें, ताकि किसी तरह का शक बाकी न रहे।

अगर इस पैग़ाम में दी गई दुआए निस्फ शाबान से आपके इल्म में कुछ इज़ाफा हुआ है, तो इसे दूसरों तक भी पहुंचाएं और इस अमल से अपने नाम-ए-आमाल में नेकी को बढ़ाएं। इसे शेयर करें और अपनी दुआओं में हमें भी शामिल रखें। आपके वक़्त और ध्यान के लिए दिल से शुक्रिया!


Also Read :-

Shab E Barat Ki FazilatShab e Barat ki NamazShab a Barat
Sehri ki DuaRoza Rakhne ki Duaसूरह इखलास

Leave a Comment